स्थल की ऐतिहासिकता का जिक्र करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि दीक्षाभूमि न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह डॉ. आंबेडकर के समता और न्याय के सिद्धांतों का प्रतीक है.
उन्होंने कहा, "डॉ. आंबेडकर द्वारा तैयार किया गया संविधान मात्र एक पुस्तक नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज के लिए जीवन जीने का एक तरीका है. संविधान में जो समानता और अधिकारों का संदेश है, वह समाज को न्यायपूर्ण दिशा में ले जाने का मार्गदर्शक है."
राहुल गांधी ने अपने भाषण में आरक्षण की सीमा बढ़ाने पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि वर्तमान में लागू 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा से समाज के कुछ वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाता है. इसे तोड़ने के इरादे से उन्होंने कहा, "हम 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा की दीवार भी तोड़ देंगे."
यह बयान देश में सामाजिक और आर्थिक समता की दिशा में उनकी पार्टी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. कांग्रेस का यह प्रयास अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यकों को समान अवसर देने के उद्देश्य से है.
इसके साथ ही, राहुल गांधी ने जाति जनगणना की आवश्यकता पर बल दिया. उनका मानना है कि जाति जनगणना से समाज में वास्तविक स्थिति का आंकलन हो सकेगा, और इससे समाज के हर वर्ग को अपनी स्थिति का भान होगा.
"जाति जनगणना से सब कुछ साफ हो जाएगा. हर किसी को पता चल जाएगा कि उनके पास कितनी ताकत है और उनकी भूमिका क्या है," उन्होंने कहा. इससे सत्ता और समाज में जातिगत संरचनाओं के वास्तविक स्वरूप को समझने और उपेक्षित वर्गों को न्याय देने का मार्ग प्रशस्त होगा.
राहुल गांधी का यह दौरा और उनके विचार कांग्रेस की सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता को उजागर करते हैं. यह दौरा दलित, पिछड़े वर्गों और समानता समर्थकों के बीच उनकी पार्टी की पकड़ को मजबूत करने का प्रयास है. दीक्षाभूमि से उनका यह संदेश महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में सामाजिक न्याय को एक केंद्रीय मुद्दा बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है.
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