रैली का मंच सिर्फ उद्धव का नहीं था, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति के आने वाले महीनों की तस्वीर का आईना भी था. (Instagram Pics: Shivsena Uddhav Balasaheb Thackeray)
उद्धव ने अपने लगभग 40 मिनट के संबोधन में भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर करारा हमला बोला, किसानों की बदहाली को सरकार की विफलता बताया, मुंबई की जर्जर बुनियादी सुविधाओं पर सवाल उठाए और सबसे अहम—अपने चचेरे भाई राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के साथ संभावित गठबंधन का संकेत भी दे डाला.
यह बयान महज़ भावनात्मक अपील नहीं था, बल्कि शिवसेना और मनसे की संभावित नज़दीकी का राजनीतिक संकेत भी था. दशकों से अलग-अलग राह चल रहे ठाकरे भाई अगर साथ आते हैं, तो मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव ही नहीं, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा बदलाव आ सकता है.
किसानों की पुकार : "50,000 रुपये प्रति हेक्टेयर मुआवजा मिले": मराठवाड़ा और विदर्भ में हाल ही में हुई भारी बारिश और बाढ़ ने किसानों की फसलें पूरी तरह तबाह कर दी हैं. इस दर्द को उठाते हुए उद्धव ने कहा— "किसानों की पूरी फसल चौपट हो चुकी है. लेकिन सरकार सिर्फ खोखले वादे कर रही है. किसानों को प्रति हेक्टेयर कम से कम 50,000 रुपये का मुआवजा मिलना चाहिए."
उद्धव ने किसानों के मुद्दे पर भाजपा पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि केंद्र और राज्य की सरकारें आपसी राजनीतिक समीकरण साधने में व्यस्त हैं, लेकिन खेतिहर वर्ग की कोई सुध लेने वाला नहीं है.
भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी पर तीखा प्रहार: अपने भाषण का बड़ा हिस्सा उद्धव ने भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना में खर्च किया. उन्होंने मणिपुर हिंसा का जिक्र करते हुए कहा— "प्रधानमंत्री तीन साल बाद मणिपुर गए. जब राज्य जल रहा था, तब उन्होंने प्रभावित लोगों से मिलने की जहमत नहीं उठाई."
भाजपा की नीतियों की तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि यह पार्टी “अमीबा” की तरह है, जो समाज को “पेट खराब होने” की तरह अस्थिर कर देती है और देश की शांति को छिन्न-भिन्न कर देती है.
उद्धव का यह हमला साफ तौर पर इस बात का संकेत था कि 2025 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले वे भाजपा को हर मोर्चे पर चुनौती देने की रणनीति बना रहे हैं.
मुंबई की बदहाल तस्वीर पर व्यंग्य:
भाषण में उद्धव ने मुंबई के नागरिक मुद्दों को भी खूब उछाला. उन्होंने कहा कि मुंबई की हालत सरकार की विफलता का आईना है.
- "सड़कें टूटी हुई हैं, हर जगह गड्ढे ही गड्ढे हैं."
- "मेट्रो स्टेशन थोड़ी सी बारिश में तालाब बन जाते हैं."
- "मोनोरेल बंद पड़ी है, किसी को इसकी सुध नहीं है."
उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा— "मेट्रो और मोनोरेल शुरू करने के बजाय सरकार को नाव सेवाएँ शुरू करने पर विचार करना चाहिए. शायद वही ज़्यादा सफल होंगी."
"भाजपा ने मुंबई का खजाना लूटा": उद्धव ने अपने भाषण में साफ कहा कि जब उनकी पार्टी बीएमसी में सत्ता में लौटेगी, तो वे एक श्वेत पत्र जारी करेंगे. इसमें यह उजागर किया जाएगा कि भाजपा ने पिछले तीन सालों में मुंबई के खजाने को किस तरह लूटा और नगर निगम की तिजोरी से पैसा बहाया.
भीगती भीड़ और जनता का जोश: भारी बारिश और मौसम की भविष्यवाणी के कारण रैली का समय भले ही छोटा रहा, लेकिन शिवाजी पार्क का मैदान पूरे महाराष्ट्र से आए समर्थकों से खचाखच भरा हुआ था.
सेना कार्यकर्ता अनिल अंबोकर ने कहा: "भाजपा का मुकाबला करने का एकमात्र तरीका यह है कि दोनों ठाकरे भाई मिलकर चुनाव लड़ें."
संगमनेर से आए मुस्लिम मावला के नाम से मशहूर अज़ीज़ मोमिन बोले: "अगर उद्धव मुख्यमंत्री होते, तो बाढ़ प्रभावित किसानों को तुरंत राहत मिल जाती. सत्ता में बैठे लोग मदद करने के बजाय समाज को बांट रहे हैं."
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