न्यूयॉर्क शहर में आयोजित 19वां अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार शिखर सम्मेलन
आईज़ ओपन इंटरनेशनल, एक गैर-लाभकारी संगठन जो शिक्षा और सामुदायिक सशक्तिकरण के माध्यम से मानव तस्करी से लड़ता है, ने इस चर्चा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. संगठन का प्रतिनिधित्व करते हुए रोहन डिसूज़ा ने "प्रतिबद्धता से कार्रवाई तक - मानवाधिकारों को वास्तविकता बनाना" शीर्षक से एक पैनल चर्चा में भाग लिया.
भारत में जन्मे और अमेरिका में पले-बढ़े, रोहन ने अपने बहुसांस्कृतिक अनुभव का उपयोग यह समझाने के लिए किया कि शिक्षा युवाओं को शोषण और तस्करी से कैसे बचा सकती है. उन्होंने दुनिया भर के स्कूलों, विश्वविद्यालयों और सामुदायिक केंद्रों में आईज़ ओपन इंटरनेशनल द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों के बारे में बात की, जो लोगों को तस्करी के जोखिमों की पहचान करने और उन्हें कानूनी रोज़गार व प्रवास के रास्ते दिखाने में मदद करते हैं.
अपने भाषण के दौरान, रोहन ने इस बात पर ज़ोर दिया कि शिक्षा, चाहे वह स्कूल में हो या समुदाय में, युवाओं को सक्षम बनाने के लिए ज़रूरी है. अपनी हालिया नेपाल यात्रा का हवाला देते हुए, उन्होंने बताया कि कैसे कई युवाओं को रोज़गार के झूठे वादों के साथ रूस-यूक्रेन युद्ध में फँसाया गया है, और कुछ तो लापता भी हो गए हैं.
रोहन के प्रेरक भाषण के बाद, यूनाइटेड फ़ॉर ह्यूमन राइट्स की अध्यक्ष और यूथ फ़ॉर ह्यूमन राइट्स इंटरनेशनल की संस्थापक डॉ. मैरी शटलवर्थ ने कहा: "रोहन, आपके योगदान ने पूरे कार्यक्रम में गहराई, दृष्टिकोण और प्रेरणा लाई. आपके शब्दों ने मानवाधिकार शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला और संदेश सभी तक पहुँचा."
इस पैनल चर्चा के माध्यम से, रोहन डिसूज़ा ने स्पष्ट संदेश दिया कि केवल प्रतिबद्धता ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि मानवाधिकार शिक्षा को एक बुनियादी हथियार के रूप में अपनाकर वास्तविक कार्रवाई की आवश्यकता है. उनका संदेश युवा प्रतिनिधियों, नीति निर्माताओं और शिक्षकों के लिए विशेष रूप से प्रेरणादायक साबित हुआ.
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