Updated on: 02 August, 2025 03:45 PM IST | Mumbai
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वन्तारा सेंटर में पहुंची हथिनी महादेवी की कहानी बनी पशु कल्याण की मिसाल, अब दोबारा कैद में भेजने की हो रही है कोशिश.
वन्तारा
कोल्हापुर के एक धार्मिक संस्थान से बचाई गई हथिनी महादेवी की कहानी आज भारत में पशु कल्याण को लेकर चल रही बहस का एक भावनात्मक केंद्र बन गई है। कई सालों की कैद के बाद, इस साल की शुरुआत में एक उच्च स्तरीय समिति के फैसले के बाद, जिसे बॉम्बे हाई कोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी मंजूरी दी, महादेवी को गुजरात के वन्तारा वाइल्डलाइफ सेंटर में लाया गया। उसकी खराब हालत को देखते हुए कई पशु अधिकार संगठनों ने चिंता जताई थी, जिसके चलते ये फैसला लिया गया।
वन्तारा पहुंचने के बाद, महादेवी की ज़िंदगी बदलने लगी। अब वह जंजीरों से आज़ाद थी, उसे ज़ख्मों का इलाज मिला और एक शांत माहौल में, उसकी ज़रूरत के मुताबिक खाना और देखभाल दी गई। लेकिन अब कोल्हापुर के कुछ स्थानीय समूहों की भावनात्मक अपील के चलते उसे वापस धार्मिक संस्थान भेजने की कोशिशें की जा रही हैं। इससे एक बार फिर चिंता बढ़ गई है कि कहीं वह फिर से कैद, उपेक्षा या धार्मिक समारोहों में इस्तेमाल जैसी स्थितियों में न पहुंच जाए।
पिछले एक साल में, जामनगर स्थित यह सेंटर चुपचाप कई कठिन हालातों से आए हाथियों की देखभाल कर चुका है। इस साल अरुणाचल प्रदेश के लकड़ी उद्योग से 20 हाथियों को यहां लाया गया, जिनमें व्यस्क, एक बच्चा और एक किशोर हाथी शामिल थे। इन्हें विशेष एंबुलेंस में हज़ारों किलोमीटर दूर से सुरक्षित लाया गया। त्योहारों और जंगलों की आपात स्थितियों में भी इस तरह की कई मदद स्थानीय वन विभागों के साथ मिलकर की गई है। हर बार उद्देश्य एक ही रहा, जानवरों को एक बेहतर जीवन देने की कोशिश।
अब वन्तारा अपनी पशु कल्याण की सोच को और आगे बढ़ा रहा है। हाल ही में दिल्ली चिड़ियाघर के साथ किए गए एक समझौते (MoU) के तहत, पूरे देश में पिंजरों और चिड़ियाघरों की व्यवस्था बेहतर बनाने और जानवरों के लिए एक अच्छा वातावरण तैयार करने पर काम किया जा रहा है। इस साझेदारी के तहत ज्ञान साझा करने और ज़रूरी ढांचागत बदलाव लाने का लक्ष्य है - ताकि देशभर में जानवरों के लिए ज्यादा मानवीय और सुरक्षित जगहें बन सकें
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