शुरूआती जांच में सामने आया है कि दुर्घटना का कारण सिग्नलिंग सिस्टम को बताया जा रहा है. (बाय स्टोरी- Rajendra B. Aklekar)
परीक्षण के दौरान सिग्नलिंग उपकरण सक्रिय नहीं थे, जिसके चलते संचालन नियंत्रण कक्ष (OCC) ट्रेन की सटीक स्थिति का पता लगाने में असमर्थ रहा.
इसी बीच, गाइडवे बीम स्विच को सक्रिय कर दिया गया, जबकि मोनोरेल रेल उसी बिंदु पर खड़ी थी. इस कारण रेल का एक हिस्सा बीम से टकरा गया और उसमें संरचनात्मक क्षति दर्ज की गई.
मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MMRDA) के सूत्रों ने बताया कि दुर्घटना की जानकारी मिलते ही तकनीकी टीम मौके पर पहुंची और परीक्षण प्रक्रिया को तुरंत रोक दिया गया.
घटना की आंतरिक जांच शुरू कर दी गई है और मेधा कंपनी, जो सिग्नलिंग और रोलिंग स्टॉक की तकनीकी सपोर्ट प्रदाता है, से विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है.
अधिकारियों ने कहा कि रेल को अस्थायी रूप से डिपो में अलग कर दिया गया है ताकि उसकी तकनीकी जाँच और मरम्मत की जा सके. फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि क्षति कितनी गंभीर है और इसे ठीक करने में कितना समय लगेगा.
अनुमान के अनुसार, गाइडवे और रेल दोनों को मामूली नुकसान हुआ है, लेकिन संरचनात्मक सुरक्षा की विस्तृत समीक्षा आवश्यक है.
यह दुर्घटना ऐसे समय में हुई है जब MMRDA मोनोरेल सेवाओं की सुधार और विश्वसनीयता बढ़ाने पर ज़ोर दे रही है.
पिछले कुछ वर्षों से मुंबई मोनोरेल को तकनीकी खामियों, कम फ्रीक्वेंसी और रखरखाव से जुड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
नई रेक्स को परीक्षण के बाद चालू सेवाओं में शामिल करने की योजना थी, ताकि यात्रियों को अधिक सुविधाजनक और भरोसेमंद सफर मिल सके.
MMRDA ने कहा कि घटना की विस्तृत जांच रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई तय की जाएगी. फिलहाल यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मोनोरेल के नियमित परिचालन पर कोई असर नहीं पड़ा है.
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