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Angry Young Men Premiere: रिलीज से पहले लेखकों ने सुनाई अपनी कहानी, पढ़िए सलीम खान और जावेद अख्तर की स्ट्रगल स्टोरी

Updated on: 20 August, 2024 01:31 PM IST | mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

Angry Young Men Premiere: सलीम खान और जावेद अख्तर लिखित एंग्री यंग मैन (Angry Young Men) को आज यानी 20 अगस्त को प्राइम वीडियो पर रिलीज़ किया जाएगा. इस डॉक्यूमेंट्री सीरीज को नम्रता राव ने निर्देशित किया है.

जावेद अख्तर और सलीम खान की डॉक्यूमेंट्री आज होगी रिलीज़

जावेद अख्तर और सलीम खान की डॉक्यूमेंट्री आज होगी रिलीज़

Angry Young Men Premiere: सलीम खान और जावेद अख्तर लिखित एंग्री यंग मैन (Angry Young Men) को आज यानी 20 अगस्त को प्राइम वीडियो पर रिलीज़ किया जाएगा. इस डॉक्यूमेंट्री सीरीज को नम्रता राव ने निर्देशित किया है.

डॉक्यूमेंट्री को लेकर जावेद अख्तर ने कहा, इसमें युवावस्था के आशावाद को दर्शाया गया है. अख्तर ने कहा, “जब आप किशोर होते हैं, तो जीवन आसान होता है, और आप कुछ भी कर सकते हैं. यही मेरा मानना ​​था. मैंने अपनी स्नातक की पढ़ाई के बाद फैसला किया कि मैं गुरु दत्त या राज कपूर के साथ सहायक निर्देशक के रूप में काम करने के लिए बॉम्बे जाऊंगा. वे ऐसे निर्देशक थे जिनकी मैं उस समय प्रशंसा करता था. मुझे यकीन था कि मैं खुद भी कुछ ही समय में निर्देशक बन जाऊंगा. मैं रेलवे स्टेशनों, स्टूडियो परिसरों, गलियारों, बेंचों आदि पर सोता था.” (angry young men documentary)


 
 
 
 
 
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उन्होंने कहा, कभी-कभी मुझे दादर से बांद्रा तक मीलों पैदल चलना पड़ता था क्योंकि मेरे पास बस का किराया देने के लिए पैसे नहीं होते थे. कभी-कभी मुझे एहसास होता था कि मैंने दो दिनों से कुछ नहीं खाया है. रेलवे स्टेशनों, स्टूडियो परिसरों, गलियारों, बेंचों पर सोया था.


जावेद अख्तर ने कहा, "जब मैं 18 साल का था, तो मुझे एहसास हुआ कि मेरे पास पहनने के लिए कुछ भी नहीं है. अब यह कैसे संभव है? जाहिर है, मैं 18 साल से कपड़े पहन रहा हूँ. तो मेरे पास पहनने के लिए कुछ भी नहीं था? लेकिन ऐसा ही था. मेरी आखिरी पतलून और मेरे पास जो एकमात्र पतलून थी, वह इस हद तक फट गई थी कि उसे अब पहना नहीं जा सकता था, और मेरे पास कोई और पतलून नहीं थी." (angry young men documentary)

वहीं, लेखक सलीम खान ने कहा, "मुझे पैसे की ज़रूरत थी इसलिए मैंने कुछ भी स्वीकार कर लिया. मैंने सिगरेट के विज्ञापन किए, कपड़ों के विज्ञापन किए, जो भी मेरे पास आया, मैंने किया. मैं दिलीप कुमार या अमिताभ बच्चन जैसे अभिनेताओं को किरदार समझा सकता था, लेकिन मैं खुद अभिनय नहीं कर सकता था. मेरे पास कथन और अवधारणा की कला थी, लेकिन प्रक्षेपण की कला की कमी थी." (angry young men documentary)

 

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