Updated on: 12 September, 2025 01:24 PM IST | Mumbai
मराठी फिल्म ‘साबर बोंडं (कैक्टस पिअर्स)’ के निर्देशक रोहन परशुराम कानवडे ने बताया कि यह फिल्म सिर्फ प्रेम कहानी है, यौनिकता पर नहीं. फिल्म ग्रामीण भारत की पृष्ठभूमि में आधारित है और रिश्तों, परिवार और स्वीकार्यता की सच्ची कहानी दर्शाती है.
Sabar Bonda Film
विश्वप्रसिद्ध सनडान्स फिल्म फेस्टिवल 2025 में प्रदर्शित मराठी फिल्म ‘साबर बोंडं (कैक्टस पिअर्स)’ का ट्रेलर हाल ही में लॉन्च कर दिया गया है. यह फिल्म निर्देशक और लेखक रोहन परशुराम कानवडे की पहली फीचर फिल्म है और यह आगामी 19 सितंबर 2025 को पूरे भारत में रिलीज़ होगी. रिलीज से पहले निर्देशक से फिल्म, इसकी कहानी और ट्रेलर को लेकर खास बातचीत की गई.
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फिल्म के ट्रेलर को सोशल मीडिया पर दर्शकों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली है. निर्देशक रोहन परशुराम कानवडे ने बताया कि इंस्टाग्राम पर उन्हें कई संदेश आए हैं, जिनमें दर्शकों ने ट्रेलर को कई बार देखने की बात कही. लोगों को न केवल ट्रेलर की कहानी बल्कि इसके रंग, इमेज की टेक्सचर और अभिनेता के अभिनय की भी काफी तारीफ़ मिल रही है.
कानवडे ने कहा कि यह उनकी पहली फीचर फिल्म है और इसका विषय थोड़ा अलग है. फिल्म ग्रामीण भारत की पृष्ठभूमि पर आधारित है, जहां अब भी कुछ प्रकार के रिश्तों को पूरी तरह स्वीकार नहीं किया जाता. निर्देशक ने बताया कि उनके अपने अनुभवों से इस फिल्म का विचार जन्मा. 2016 में उनके पिता के निधन के बाद जब वे गांव लौटे, तो परिवार और रिश्तेदारों का शादी के लिए दबाव उन्हें महसूस हुआ. यही अनुभव उनके लिए कहानी का आधार बन गया.
फिल्म ‘साबर बोंडं’ की कहानी मुख्य रूप से एक युवा लड़के के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपने पिता के श्राद्ध के लिए गांव लौटता है और अपने बचपन के दोस्त से मिलता है. परिवार के शादी के दबाव से बचने के लिए वह अपने दोस्त के साथ कुछ पल बिताता है और धीरे-धीरे उनके बीच प्रेम और समझदारी का रिश्ता विकसित होता है. निर्देशक ने बताया कि वह दर्शाना चाहते थे कि ग्रामीण इलाकों में भी स्वीकार्यता है, लेकिन ऐसी सकारात्मक कहानियां बहुत कम दिखाई जाती हैं.
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निर्देशक कानवडे ने स्पष्ट किया कि फिल्म में मुख्य पात्रों को केवल “गे किरदार” के रूप में नहीं दिखाया गया है. उनका कहना है कि यह सिर्फ एक प्रेम कहानी है. फिल्म का नाम ‘Sambar Bonda’ भी इसी सादगी और अर्थ को दर्शाता है. यह गांव का एक फल है — बाहरी रूप से कठोर, लेकिन अंदर से कोमल और रसदार, जो पात्रों की परिस्थितियों और उनके बीच के प्रेम का प्रतीक है.
कलाकारों के चयन के बारे में रोहन ने कहा कि मुख्य भूमिकाओं के लिए भुवन और सूरज को तीन साल की खोज के बाद चुना गया. दोनों का थिएटर पृष्ठभूमि वाला अनुभव और वास्तविक जीवन में दोस्ताना संबंध स्क्रीन पर सहजता और आत्मीयता लाने में मदद करता है. गांव के अन्य पात्रों के लिए स्थानीय थिएटर ग्रुप्स से कलाकार चुने गए, जिससे भाषा और व्यवहार में असलीपन बना रहे.
फिल्म का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन भी उल्लेखनीय है. यह मराठी फिल्म संडांस सहित प्रमुख यूरोपीय फिल्म फेस्टिवल्स में दिखाई गई और ग्रैंड जूरी अवार्ड जीतने वाली पहली भारतीय फिल्म बनी.
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फिल्म के प्रचार के बारे में निर्देशक ने बताया कि कॉलेजों और शहरों में प्राइवेट स्क्रीनिंग्स चल रही हैं, और सोशल मीडिया पर ट्रेलर ने लाखों व्यूज़ हासिल किए हैं. फिल्म विशेष रूप से बड़े स्क्रीन अनुभव के लिए बनाई गई है, ताकि दर्शक ध्वनि और दृश्य के माध्यम से पूरी कहानी का अनुभव कर सकें.
रोहन का कहना है कि यह फिल्म सिर्फ दो व्यक्तियों की प्रेम कहानी नहीं है, बल्कि भारतीय गांव की जीवनशैली, परिवार, रिश्तों और संवेदनाओं की कहानी भी है. दर्शक इसे अपने अनुभवों से जोड़कर देखेंगे और थिएटर में जाकर पूरी फिल्म का आनंद उठा सकते हैं.
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