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ठाकरे बंधुओं की नजदीकियों से बिफरी कांग्रेस, संदीप सिंह ने बीएमसी चुनाव में अकेले उतरने की रखी मांग

Updated on: 14 September, 2025 09:14 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की बढ़ती नजदीकियों ने कांग्रेस के भीतर हलचल मचा दी है. बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव से पहले महाराष्ट्र कांग्रेस के सचिव संदीप सिंह ने पार्टी नेतृत्व को पत्र लिखकर गठबंधन तोड़कर अकेले चुनाव लड़ने की मांग की है.

 जहां शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे विपक्षी एकता का झंडा उठाए हुए हैं, वहीं महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे भी अचानक से विपक्षी मंचों पर दिखने लगे हैं.

जहां शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे विपक्षी एकता का झंडा उठाए हुए हैं, वहीं महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे भी अचानक से विपक्षी मंचों पर दिखने लगे हैं.

महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों सबसे ज़्यादा चर्चा का विषय बन चुके हैं ठाकरे बंधु — उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे. दशकों से राजनीतिक और वैचारिक दूरी बनाए रखने वाले ये दोनों नेता अब लगातार एक-दूसरे के करीब आते दिखाई दे रहे हैं. हालिया मुलाक़ातों, राजनीतिक संकेतों और एक-दूसरे के लिए नरम होते बयानों ने राज्य की सियासत में हलचल मचा दी है. जहां शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे विपक्षी एकता का झंडा उठाए हुए हैं, वहीं महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे भी अचानक से विपक्षी मंचों पर दिखने लगे हैं.

ठाकरे बंधुओं की यह अप्रत्याशित निकटता न केवल भारतीय जनता पार्टी को चिंतित कर रही है, बल्कि उनके संभावित सहयोगी दलों के लिए भी यह समीकरण असहज कर देने वाला है. सबसे ज़्यादा असमंजस की स्थिति कांग्रेस में पैदा हो गई है, जो अब तक बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव में विपक्षी गठबंधन का हिस्सा मानी जा रही थी.


महाराष्ट्र कांग्रेस के सचिव संदीप सिंह ने इसी बदलते परिदृश्य को देखते हुए पार्टी नेतृत्व को एक सख़्त पत्र लिखा है. सिंह का कहना है कि ठाकरे बंधुओं की बढ़ती नजदीकियों से कांग्रेस के अस्तित्व पर ही सवाल खड़े हो सकते हैं, क्योंकि गठबंधन में उसकी पहचान और संगठनात्मक शक्ति लगातार कमजोर हो रही है. उन्होंने साफ लिखा — “अगर कांग्रेस को अपनी खोई हुई ताकत वापस पाना है तो हमें किसी के सहारे नहीं, अपने दम पर मैदान में उतरना होगा.”


 


 

सिंह का तर्क है कि गठबंधन की राजनीति ने कांग्रेस की धार कुंद कर दी है और जमीनी कार्यकर्ताओं का मनोबल तोड़ दिया है. उन्होंने चेताया कि यदि पार्टी अब भी दूसरों के सहारे बीएमसी चुनाव लड़ेगी, तो जनता तक यह संदेश जाएगा कि कांग्रेस खुद अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो सकती.

ठाकरे बंधुओं की संभावित नजदीकियां जहां महाराष्ट्र की सियासत को नया मोड़ देती दिख रही हैं, वहीं कांग्रेस के भीतर से उठी यह मांग संकेत देती है कि पार्टी अब अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ने के लिए अकेले मैदान में उतरने का मन बना रही है.

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