महाराष्ट्र रेल अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (MRIDC/महारेल) को इस डबल-डेकर ब्रिज का निर्माण सौंपा गया है, जबकि परियोजना की निगरानी मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (MMRDA) कर रही है. (Story By: Rajendra B. Aklekar, Pics By: Ashish Raje)
महारेल के प्रबंध निदेशक राजेश कुमार जायसवाल ने कहा कि यह ब्रिज मुंबई का पहला डबल-डेकर रेलवे ओवरब्रिज होगा, जो शहर के बदलते बुनियादी ढांचे का प्रतीक बनेगा.
उन्होंने इसे “सुरक्षा, नवाचार और दक्षता” का संगम बताते हुए कहा कि यह परियोजना तकनीकी दृष्टि से बेहद जटिल है.
सबसे बड़ी चुनौती मौजूदा लोहे और पत्थर के पुल को गिराने की है — वह भी तब, जब नीचे से पश्चिम रेलवे (WR) और मध्य रेलवे (CR) की लोकल ट्रेनें निरंतर चल रही होंगी.
इसके लिए दो 800 मीट्रिक टन क्षमता वाली मेगा-क्रेनों का इस्तेमाल होगा. काम के दौरान यात्री सुरक्षा और रेल संचालन में न्यूनतम व्यवधान सुनिश्चित करने के लिए विस्तृत योजना तैयार की जा रही है.
नए डबल-डेकर ब्रिज का कुल रेलवे विस्तार 132 मीटर होगा. इसका निचला डेक 2+2 लेन (फुटपाथ सहित) के साथ स्थानीय यातायात के लिए परेल-प्रभादेवी पूर्व-पश्चिम संपर्क को जोड़ेगा,
जबकि ऊपरी डेक भी 2+2 लेन का होगा जो अटल सेतु (मुंबई ट्रांस-हार्बर लिंक) को कोस्टल रोड और बांद्रा-वर्ली सी लिंक से जोड़ेगा.
इसकी अनुमानित लागत 167.35 करोड़ है और सभी स्वीकृतियां मिलते ही इसे लगभग एक साल में पूरा करने का लक्ष्य है.
इस बीच, यात्रियों को दादर स्थित तिलक ब्रिज और लोअर परेल स्थित नए डेलीसले रोड ब्रिज का इस्तेमाल करना होगा, जिससे क्षेत्र में ट्रैफिक दबाव और बढ़ने की आशंका है.
स्थानीय संगठन ‘चकाचक दादर’ ने मांग की है कि पहले से प्रस्तावित डीपी रोड योजना को तुरंत आगे बढ़ाया जाए ताकि जनता को राहत मिल सके. फिलहाल, नया डबल-डेकर ब्रिज बनने तक मुंबईकरों को ट्रैफिक और भीड़ का सामना करना ही पड़ेगा.
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