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कोर्ट कचहरी में दमदार एक्टिंग से छाए आशीष वर्मा, बोले – किरदार की आत्मा पकड़ना ही असली अभिनय

Updated on: 10 September, 2025 03:28 PM IST | Mumbai
Ujwala Dharpawar | ujwala.dharpawar@mid-day.com

वेब सीरीज़ कोर्ट कचहरी से दर्शकों का दिल जीतने वाले आशीष वर्मा ने एक खास बातचीत में अपने किरदार, शूटिंग अनुभव और भविष्य की योजनाओं पर खुलकर बात की.

Instagram Photos, Actor Ashish Verma

Instagram Photos, Actor Ashish Verma

मुंबई की चकाचौंध भरी इंडस्ट्री में अक्सर कलाकारों को अपनी जगह बनाने में सालों लग जाते हैं. लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जो अपनी मेहनत और ईमानदारी से दर्शकों का दिल जीत लेते हैं. अभिनेता आशीष वर्मा उन्हीं में से एक हैं. हाल ही में रिलीज़ हुई वेब सीरीज़ “कोर्ट कचहरी” में उनका अभिनय चर्चा का विषय बना हुआ है. पिता-पुत्र के रिश्तों की पेचीदगियों और उनके बीच के टकराव को उन्होंने जिस सच्चाई से पर्दे पर उतारा, उसने उन्हें दर्शकों और समीक्षकों दोनों की तारीफ दिलवाई.

किरदार को जीना, निभाना नहीं


आशीष कहते हैं, “कोर्ट कचहरी सिर्फ़ एक शो नहीं था, बल्कि मेरे लिए जीवन का अनुभव था. इसमें दिखाया गया father-son conflict बेहद खूबसूरती से लिखा गया है. यह कहानी सिर्फ कोर्टरूम की बहस तक सीमित नहीं रहती, बल्कि रिश्तों की गहराई तक उतरती है. यही कारण है कि कोई युवा दर्शक बेटे से खुद को जोड़ सकता है, और कोई उम्रदराज़ दर्शक पिता के नजरिए से कहानी को समझ सकता है.”


उनके मुताबिक, शो की खूबसूरती यही है कि यह ब्लैक एंड व्हाइट नहीं है, बल्कि ग्रे शेड्स से भरा हुआ है. यानी हर किरदार अपने ढंग से सही भी है और गलत भी.

पवन मल्होत्रा, पुनीत बत्रा, प्रियाशा भारद्वाज के साथ काम


सीरीज़ में आशीष ने दिग्गज अभिनेता पवन मल्होत्रा, पुनीत बत्रा, प्रियाशा भारद्वाज के साथ स्क्रीन शेयर किया. इस अनुभव को वे यादगार बताते हैं—

“पवन सर मेरे लिए हमेशा प्रेरणा रहे हैं. मैंने मुंबई आने से पहले उनकी कई फिल्मों से अभिनय सीखा. उनके साथ काम करना एक सौभाग्य रहा. वे बेहद सहयोगी और समझदार को-एक्टर हैं. हर सीन से पहले चर्चा करना, उनकी ओर से दिए गए सुझावों ने मेरे प्रदर्शन को और गहराई दी. पुनीत बत्रा, प्रियाशा भारद्वाज और बाकी अन्य कलाकरों के साथ काम करना मेरे करियर की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है.”

फिल्में बनाम OTT

आजकल हर कलाकार से यह सवाल पूछा जाता है कि फिल्मों और OTT प्लेटफ़ॉर्म्स में उन्हें क्या फर्क लगता है. आशीष कहते हैं—

“मेहनत दोनों में बराबर है. लेकिन फिल्मों का असर त्वरित होता है. रिलीज़ के पहले हफ़्ते में ही पता चल जाता है कि फिल्म चली या नहीं. जबकि OTT पर कोई शो या फिल्म धीरे-धीरे दर्शकों तक पहुँचती है. उसकी समीक्षा, उसका प्यार लंबे समय तक मिलता रहता है. यही वजह है कि कई फिल्में, जो सिनेमाघरों में नहीं चलीं, OTT पर जाकर कल्ट बन गईं. मेरे खुद के कुछ प्रोजेक्ट्स का अनुभव भी ऐसा ही रहा है.”

वे उदाहरण देते हैं कि कैसे एक फिल्म जिसमें उन्होंने डॉक्टर का रोल किया था, थिएटर में ज़्यादा नहीं चली, लेकिन OTT पर आने के बाद दर्शकों का उसे जबरदस्त प्यार मिला.

 

 
 
 
 
 
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आगे की राह

आशीष अब ऐसे रोल चुनना चाहते हैं जो चुनौतीपूर्ण हों. वे कहते हैं—

“मैं कोशिश करता हूँ कि दोहराव न करूँ. अलग-अलग जॉनर्स और अलग-अलग तरह के किरदार करना चाहता हूँ. खासकर ऐसे किरदार जिनमें निगेटिव शेड्स हों, या जो दर्शकों को सोचने पर मजबूर करें. मेरा सपना है कि जितने भी बेहतरीन फिल्ममेकर हैं, उनकी कहानियों का हिस्सा बनूँ.”

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