आस्था ने बताया कि उनका बचपन अलवर में बीता है. वह बचपन में उनके घर पर मां को गणगौर तीज करते देखती थीं. राजस्थान में लड़कियां पारंपरिक पोशाक पहनकर ईसर गौर की यात्रा भी निकालती हैं. उन्होंने बताया कि गणगौर का त्योहार या अन्य पारंपरिक त्योहार न केवल श्रृंगार से संबंध रखते हैं बल्कि हमारी भारतीय संस्कृति की एक अमूल्य धरोहर भी हैं, जिससे हमें हमारे रीति-रिवाजों और संस्कारों का ज्ञान मिलता है.