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हिंदू धर्म में घंटी का है विशेष स्थान, यहां पढ़ें पौराणिक और सांस्कृतिक महत्व

Updated on: 27 May, 2024 06:01 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

घंटी का उपयोग मुख्यतः मंदिरों में देवताओं की पूजा के दौरान किया जाता है.

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हिंदू धर्म में घंटी का विशेष महत्त्व है. यह धार्मिक अनुष्ठानों, पूजा-पाठ और मंदिरों में एक प्रमुख भूमिका निभाती है. घंटी को संस्कृत में `घंटा` कहा जाता है और इसे देवी-देवताओं की आराधना का महत्वपूर्ण अंग माना गया है.

घंटी का धार्मिक महत्व
घंटी का उपयोग मुख्यतः मंदिरों में देवताओं की पूजा के दौरान किया जाता है. जब भक्त मंदिर में प्रवेश करते हैं या पूजा आरंभ करते हैं, तो सबसे पहले घंटी बजाई जाती है. इसका एक मुख्य उद्देश्य यह है कि घंटी की ध्वनि से मंदिर का वातावरण शुद्ध और पवित्र हो जाता है. ऐसा माना जाता है कि घंटी की ध्वनि से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.


आध्यात्मिक महत्व
घंटी की ध्वनि को `ओम` के स्वर से जोड़ा जाता है, जो हिंदू धर्म में ब्रह्मांड की मूल ध्वनि मानी जाती है. जब घंटी बजती है, तो इसकी ध्वनि सभी दिशाओं में फैलती है और एक विशेष प्रकार की कंपन उत्पन्न करती है. यह कंपन भक्तों के मन और आत्मा को शांति और एकाग्रता प्रदान करती है. इसके अलावा, घंटी की ध्वनि को ध्यान और साधना के लिए भी महत्वपूर्ण माना गया है क्योंकि यह मानसिक एकाग्रता और ध्यान की गहन अवस्था प्राप्त करने में सहायक होती है.


पौराणिक और सांस्कृतिक महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब समुद्र मंथन के समय विष्णु भगवान ने देवताओं और असुरों की सहायता के लिए मंदराचल पर्वत को मथानी के रूप में प्रयोग किया, तब घंटी की ध्वनि उत्पन्न हुई। इस ध्वनि ने मंथन प्रक्रिया को सुचारु रूप से चलाने में सहायता की.

संस्कृतिक दृष्टि से भी घंटी का विशेष महत्त्व है. भारत के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की घंटियों का प्रयोग होता है. उत्तर भारत में पीतल और कांसे की घंटियाँ अधिक प्रचलित हैं, जबकि दक्षिण भारत में मंदिरों की वास्तुकला के अनुसार विशाल घंटियाँ बनाई जाती हैं. हर मंदिर में घंटी का आकार, धातु और ध्वनि भिन्न होती है, जो उस मंदिर की परंपरा और संस्कृति को दर्शाती है.


विज्ञान और मनोविज्ञान
वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो घंटी की ध्वनि का मनुष्य के मस्तिष्क और शरीर पर सकारात्मक प्रभाव होता है. ध्वनि तरंगों के माध्यम से उत्पन्न कंपन से मस्तिष्क के तंत्रिका तंतु सक्रिय हो जाते हैं, जिससे मानसिक तनाव और चिंता कम होती है. इसके अतिरिक्त, ध्वनि चिकित्सा (साउंड थेरेपी) में भी घंटी की ध्वनि का प्रयोग किया जाता है ताकि मस्तिष्क की गतिविधियों को संतुलित किया जा सके.

निष्कर्ष
घंटी का उपयोग हिंदू धर्म में केवल एक परंपरा मात्र नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहन धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक कारण हैं. यह देवताओं के प्रति श्रद्धा और भक्ति की अभिव्यक्ति है, जो भक्तों को मानसिक शांति और आत्मिक शक्ति प्रदान करती है. इस प्रकार, घंटी हिंदू धर्म के अनुष्ठानों और पूजा-पाठ में एक अभिन्न अंग है, जो सदियों से चली आ रही परंपराओं को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

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