Updated on: 21 July, 2024 11:35 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर मंत्र जाप का विशेष महत्व होता है.
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर इन मंत्रों का जाप करने से हमारे जीवन में गुरु की कृपा और आशीर्वाद की वर्षा होती है.
गुरु पूर्णिमा का पर्व हिंदू धर्म में एक विशेष स्थान रखता है. यह दिन गुरु के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट करने का अवसर होता है. गुरु पूर्णिमा का पर्व आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, यह दिन गुरु की महिमा और उनके योगदान का सम्मान करने के लिए समर्पित है. इस दिन का महत्व विशेष रूप से इसलिए है क्योंकि यह गुरु की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का उत्तम समय होता है. गुरु पूर्णिमा के अवसर पर मंत्र जाप का विशेष महत्व होता है. ये मंत्र न केवल मानसिक शांति प्रदान करते हैं, बल्कि व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करते हैं. आइए, जानते हैं उन मंत्रों के बारे में जो गुरु पूर्णिमा के दिन अवश्य जपने चाहिए:
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गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरः. गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरवे नमः.
इस मंत्र का जाप करते समय हमें ध्यान रखना चाहिए कि गुरु का स्थान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान होता है. वे हमें ज्ञान का प्रकाश प्रदान करते हैं और हमारे जीवन को दिशा देते हैं. इस मंत्र का उच्चारण करते समय अपने गुरु के प्रति समर्पण और श्रद्धा भाव होना चाहिए.
ध्यान मूलं गुरुर्मूर्तिः, पूजा मूलं गुरुर्पादुका. मंत्र मूलं गुरुर्वाक्यं, मोक्ष मूलं गुरु: कृपा.
इस मंत्र के माध्यम से हम गुरु की महिमा का गुणगान करते हैं. यह मंत्र हमें यह सिखाता है कि ध्यान का केंद्र बिंदु गुरु की मूर्ति होनी चाहिए, पूजा का आधार गुरु की पादुका होनी चाहिए, और मंत्र का मूल गुरु का वाक्य होना चाहिए. मोक्ष प्राप्ति के लिए गुरु की कृपा अनिवार्य होती है.
अखण्ड मंडलाकारं, व्याप्तं येन चराचरम्. तत्पदं दर्शितं येन, तस्मै श्री गुरवे नमः.
इस मंत्र के उच्चारण से हम अपने गुरु के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हैं, जिन्होंने हमें ब्रह्मांड के सत्य का ज्ञान कराया. यह मंत्र हमें यह सिखाता है कि गुरु का ज्ञान असीमित और अनंत होता है, जो समस्त चराचर जगत में व्याप्त है.
गुरु वेदांत विभुस्स्वयम्भु: परमसुख-द: शांतिदः केवलं ज्ञानमूर्ति:. द्वन्द्वातीतः गुणातीतः सुखरहितमहस्सद्गुरुः सान्निधिं मे सदा.
इस मंत्र के माध्यम से हम गुरु की विशेषताओं का वर्णन करते हैं. वे स्वयम्भू, वेदांत के ज्ञाता, परमसुखदायक, शांतिदायक, केवल ज्ञान की मूर्ति, द्वन्द्व से परे, गुणातीत और सुखरहित होते हैं. इस मंत्र का जाप करने से हमें गुरु की कृपा और सान्निध्य की प्राप्ति होती है.
त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बंधुश्च सखा त्वमेव. त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वं मम देव देव.
इस मंत्र के माध्यम से हम गुरु को सर्वस्व मानते हैं. गुरु हमारे माता-पिता, बंधु-सखा, विद्या, धन और सब कुछ होते हैं. इस मंत्र का जाप करने से हम अपने जीवन में गुरु के महत्व को स्वीकार करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करते हैं.
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर इन मंत्रों का जाप करने से हमारे जीवन में गुरु की कृपा और आशीर्वाद की वर्षा होती है. यह दिन गुरु के प्रति अपनी श्रद्धा और समर्पण प्रकट करने का उत्तम अवसर होता है. इसलिए, इस पावन अवसर पर इन मंत्रों का जाप अवश्य करें और अपने जीवन को गुरु की कृपा से आलोकित करें.
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