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देवउठनी एकादशी: तुलसी विवाह के लिए ये रहेगा शुभ मुहूर्त, मिलता है ऐसा शुभ फल

Updated on: 22 November, 2023 12:23 PM IST | mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

देवोत्थान या देवउठनी एकादशी इस साल 2023 में 23 जनवरी को है. धार्मिक मान्‍यता है कि देवउठनी एकादशी के दिन से सृष्टि के संचालक भगवान विष्‍णु और समस्‍त देवता 4 महीने की योग निद्रा से जागते हैं और अपना-अपना कार्यभार ग्रहण कर लेते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवोत्थान एकादशी होती है.

प्रतिकात्मक तस्वीर

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देवोत्थान या देवउठनी एकादशी इस साल 2023 में 23 जनवरी को है. धार्मिक मान्‍यता है कि देवउठनी एकादशी के दिन से सृष्टि के संचालक भगवान विष्‍णु और समस्‍त देवता 4 महीने की योग निद्रा से जागते हैं और अपना-अपना कार्यभार ग्रहण कर लेते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवोत्थान एकादशी होती है. इसी दिन देवी तुलसी और भगवान शालीग्राम जी का विवाह भी होता है. मान्यता है कि तुलसी विवाह संपन्न करवाने से कन्यादान के समान फल की प्राप्ति होती है और मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं.

इस साल 23 नवंबर को देवउठनी एकादशी है. एकादशी तिथि 22 नवंबर को रात 11.03 बजे से शुरू हो रही है. इसका समापन 23 नवंबर की रात 09.01 बजे होगा. एकादशी तिथि पर रात्रि पूजा का मुहूर्त शाम 05.25 से रात 08.46 तक है.


तुलसी विवाह अलग-अलग स्थानों पर अलग तरीके से मनाया जाता है. समान रीति-रिवाजों की मानें तो तुलसी के गमले को गेरू रंग से रंगा जाता है. साफ जगह पर आटे का चौक लगाकर उस लकड़ी का पाटा रखते हैं. इस पर तुलसी का गमला रखते हैं. गमले के चारों और गन्ने का मंडप बनाया जाता है. इसके बाद देवी तुलसी को श्रृंगार आदि सामान चढ़ाए जाते हैं. अब एक कलश में जल भरकर रखें और उसमें पांच या फिर सात आम के पत्ते लगाकर पूजा स्थल पर स्थापित किया जाता है. फिर देवी तुलसी की मान्यतानुसार पूजा करके उनकी आरती की जाती है और प्रसाद सभी में बांट दिया जाता है.


एक खास बात भी मालूम पड़ती है कि तुलसी विवाह के दिन तुलसी पर जल ना चढ़ाएं, इस दिन देवी भगवान विष्णु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. तुलसी और शालीग्राम जी का विवाह सम्पन्न कराने वाले के जीवन में मोश्र के मार्ग खुल जाते हैं. यदि किसी व्यक्ति की कन्या न हो तो उसे तुलसी विवाह करके कन्या दान का पुण्य जरूर कमाना चाहिए, इससे कन्या विवाह जितना ही पुण्य प्राप्त होता है.


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