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मकर संक्रांति से दिवाली तक, नए साल के व्रत-त्योहारों का यहां देखें पूरा कैलेंडर

Updated on: 27 December, 2024 10:35 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

भारत अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक विविधताओं के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। यहां हर समुदाय और धर्म अपने तरीके से नववर्ष का स्वागत करता है.

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भारत विविधताओं का देश है, जहां हर समुदाय, संस्कृति और धर्म अपने तरीके से नववर्ष का स्वागत करता है. यह विविधता भारतीय संस्कृति की विशेषता है. नववर्ष पर मनाए जाने वाले व्रत और त्योहार साल की शुरुआत को मंगलमय बनाते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं.

>> जनवरी


1 जनवरी को ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार नववर्ष मनाया जाता है. इस दिन लोग पूजा-पाठ करते हैं, परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताते हैं और नए संकल्प लेते हैं.


14-15 जनवरी को मकर संक्रांति और पोंगल जैसे त्योहार आते हैं. मकर संक्रांति पर सूर्य के उत्तरायण होने का उत्सव मनाया जाता है. इस दौरान तिल-गुड़ का सेवन और दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है.

>> मार्च


मार्च में हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा (महाराष्ट्र), उगादि (दक्षिण भारत) और नव संवत्सर (उत्तर भारत) मनाया जाता है. इस दिन व्रत-पूजा कर परिवार की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना की जाती है.

>> अप्रैल

सिख समुदाय वैशाखी के साथ अपने नववर्ष का आरंभ करता है. बंगाली, असमिया और ओडिया समुदाय अपना नववर्ष `पोइला बैसाख`, `बिहू` और `पणा संक्रांति` के रूप में मनाते हैं.

>> जुलाई-अगस्त

श्रावण मास में आने वाले हरियाली तीज और नाग पंचमी जैसे त्योहार नववर्ष के उल्लास को और बढ़ाते हैं. यह समय व्रत और उपवास के माध्यम से भगवान शिव और नाग देवता की आराधना का होता है.

>> सितंबर-अक्टूबर

जैन समुदाय में पर्युषण पर्व और क्षमावाणी के दिन नववर्ष की शुरुआत की जाती है. इसी समय पारसी समुदाय अपना नववर्ष `नवरोज़` मनाते हैं.

>> नवंबर

दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा और अन्नकूट के साथ गुजराती समुदाय नववर्ष का स्वागत करता है. इस दिन व्यापारिक समुदाय नए खाते खोलकर मां लक्ष्मी की कृपा मांगता है.

>> दिसंबर

साल के अंत में क्रिसमस का उत्सव मनाया जाता है. यह समय नए साल की पूर्व संध्या पर पार्टी, प्रार्थना और प्रेम बांटने का होता है.

 

नववर्ष के व्रत-त्योहार केवल धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन नहीं हैं, बल्कि जीवन में नई शुरुआत और उमंग का प्रतीक भी हैं. यह परंपराएं हमारी सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत बनाए रखती हैं और परिवार एवं समाज को आपस में जोड़ती हैं.

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