Updated on: 30 January, 2025 09:12 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
पैर में काला धागा बांधना एक प्राचीन परंपरा है, जिसे बुरी नजर से बचाव और सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने के लिए अपनाया जाता है. धार्मिक, ज्योतिषीय और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसे लाभकारी माना जाता है.
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भारत में परंपराओं और रीति-रिवाजों का विशेष महत्व है, और उनमें से एक है पैर में काला धागा बांधना. यह प्रथा विशेष रूप से महिलाओं और लड़कियों में आम देखी जाती है. लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या इसे बांधना सही है और इसके पीछे क्या कारण होते हैं? आइए इसे विस्तार से समझते हैं.
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धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यता
हिंदू धर्म और ज्योतिष के अनुसार, काला धागा बांधने से नकारात्मक ऊर्जा और बुरी नजर से बचाव होता है. मान्यता है कि काला रंग नकारात्मक शक्तियों को दूर रखता है और शरीर की ऊर्जा को संतुलित करता है. इसलिए, लड़कियों और छोटे बच्चों को पैर में काला धागा बांधने की सलाह दी जाती है ताकि वे किसी भी बुरी नजर या नकारात्मक प्रभाव से बच सकें.
वैज्ञानिक कारण
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो शरीर में कई एक्यूप्रेशर पॉइंट्स होते हैं, खासकर पैरों में. जब कोई काला धागा पैर में बांधा जाता है, तो वह ब्लड सर्कुलेशन को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है. कुछ लोग इसे नकारात्मक ऊर्जा अवशोषित करने वाला भी मानते हैं, जिससे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को लाभ मिलता है.
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण
आयुर्वेद के अनुसार, पैरों में काला धागा बांधने से शरीर की ऊर्जा संतुलित रहती है. यह विशेष रूप से पीड़ा, ऐंठन और मांसपेशियों की समस्याओं को कम करने में सहायक हो सकता है. कई लोग इसे पेट दर्द, अस्थमा और अन्य बीमारियों से राहत पाने के लिए भी अपनाते हैं.
क्या सभी लड़कियों को इसे बांधना चाहिए?
यह पूरी तरह से व्यक्तिगत आस्था और विश्वास पर निर्भर करता है. अगर कोई धार्मिक या ज्योतिषीय मान्यताओं को मानता है, तो वे इसे पहन सकते हैं. लेकिन अगर कोई इसे सिर्फ एक अंधविश्वास मानता है, तो इसे अपनाने की जरूरत नहीं है.
कैसे और किस पैर में बांधें?
>> काला धागा शनिवार या मंगलवार को बांधना शुभ माना जाता है.
>> इसे बाएं पैर में बांधना अधिक लाभकारी होता है, खासकर महिलाओं के लिए.
>> धागे को हनुमानजी या शनि मंदिर में अभिमंत्रित करवाकर पहनने से इसका प्रभाव बढ़ता है.
लड़कियों के लिए पैर में काला धागा बांधना आस्था, विज्ञान और परंपरा का मिश्रण है. यह न केवल बुरी नजर से बचाने में सहायक माना जाता है, बल्कि कई स्वास्थ्य लाभ भी दे सकता है. हालांकि, यह पूरी तरह से व्यक्तिगत विश्वास का विषय है और इसे अपनाना या नहीं अपनाना व्यक्ति के विचारों पर निर्भर करता है.
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