Updated on: 26 August, 2024 04:35 PM IST | mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिन यानी श्रीकृष्णजन्माष्टमी आज यानी 26 अगस्त को पूरे देश में मनाई जा रही है. भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण के बालस्वरूप की पूजा होती है. भव्य तरीके से कान्हा का श्रृंगार किया जाता है.
प्रतिकात्मक तस्वीर/आईस्टॉक
भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिन यानी श्रीकृष्णजन्माष्टमी आज यानी 26 अगस्त को पूरे देश में मनाई जा रही है. भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण के बालस्वरूप की पूजा होती है. भव्य तरीके से कान्हा का श्रृंगार किया जाता है.
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खीरे का है विशेष महत्व
इस दिन घरों में तरह तरह के पकवान और भोग बनते हैं. इसमें खीरे का विशेष महत्व है. जन्माष्टमी पर डंठल वाले खीरे का इस्तेमाल गर्भनाल की तरह किया जाता है. रात्रि में कृष्ण जन्म के समय खीरे से गर्भनाल को काटकर अलग कर दिया जाता है. इस दिन खीरा काटने की परंपरा चली आ रही है.
धनिया की पंजीरी का है महत्व
भगवान विष्णु के अवतारी कृष्ण के जन्मदिन पर धनिया की पंजीरी उनके प्रमुख प्रसादों में से एक मानी जाती है. भगवान कृष्ण को मंदिर और घरों में सभी जगह ये भोग लगाया जाता है. माना जाता है कि इस भोग को ग्रहण करने से व्रत का पारण होता है. भगवान को इसके साथ ही माखन मिश्री का भी भोग लगाया जाता है. धनिया पंजीरी सेहत के लिए अच्छी मानी जाती है.
मेवा पाग का भी लगता है भोग
भगवान श्रीकृष्ण को फलों का भी भोग लगाया जाता है. उन्हें केला, नारियल, सेब, अमरूद, सीताफल, पपीता जैसे फलों का भोग लगाया जाता है. इसके साथ ही मेवा पाग का भी भोग लगाते हैं इसमें खरबूजे के बीज, मूंगफली और नारियल को मिलाया जाता है या इसका अलग से भी भोग लगाया जाता है.
पंचामृत से होता है स्नान
भगवान कृष्ण को उनके जन्म के बाद दूध, दही, शहद, घी और गंगा जल से स्नान कराया जात है. कुछ लोग प्रसाद के तौर पर बांटते समय इसमें सूखे मेवे भी मिला देते हैं. इसे पंचामृत कहा जाता है. इसका जन्माष्टमी पर विशेष महत्व होता है.
56 भोग का बनता है प्रसाद
भगवान कृष्ण को मथुरा वृंदावन के कई मंदिरों समेत घरों में भी 56 भोग बनाकर प्रसाद के तौर पर भगवान को समर्पित किया जाता है. कहा जाता है श्रीकृष्ण को भोजन बहुत प्रिय था इसलिए उन्हें तरह तरह के प्रसाद बनाकर चढ़ाया जाता है.
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