Updated on: 15 January, 2024 08:00 AM IST | mumbai
मकर संक्रांति (Makar Sankranti) पर हर किसी के पास अपनी कुछ न कुछ यादें जरूर होती हैं. कोई पतंग उड़ाना पसंद करता है तो कोई तिल के लड्डू और मीठे चावल का लुत्फ उठाना पसंद करता है. मकर संक्रांति को हम अलग-अलग अलग नामों से जानते हैं, लेकिन इसका एक खास नाम है उत्तरायण.
प्रतिकात्मक तस्वीर
मकर संक्रांति (Makar Sankranti) पर हर किसी के पास अपनी कुछ न कुछ यादें जरूर होती हैं. कोई पतंग उड़ाना पसंद करता है तो कोई तिल के लड्डू और मीठे चावल का लुत्फ उठाना पसंद करता है. मकर संक्रांति (Makar Sankranti) को हम अलग-अलग अलग नामों से जानते हैं, लेकिन इसका एक खास नाम है उत्तरायण. आज हम आपको उसी खास नाम के पीछे की कहानी बताने जा रहे हैं. साथ ही इस आर्टिकल से आपको मकर संक्रांति के अलग स्थानों के अलग नामों का भी पता चलेगा.
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इस साल 2024 में मकर संक्रांति (2024 makar sankranti) 15 जनवरी है. इस दिन सूर्य देव दोपहर 02:54 बजे धनु राशि छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं. इसलिए इस दिन यह त्योहार मनाया जाएगा. मकर संक्रांति का पुण्यकाल सुबह 07:15 बजे से शाम 06:21 बजे तक माना जाता है. साथ ही मकर संक्रांति का महा पुण्यकाल सुबह 07:15 से 09:06 बजे तक रहेगा.
ये हैं मकर संक्रांति के कुछ खास नाम
मकर संक्रांति को अलग-अलग नामों से जाना जाता है. इस दिन उत्तर भारत के कई घरों में खिचड़ी बनाई जाती है. खिचड़ी के साथ तिल गुड़ का दान भी किया जाता है. इस दिन तिल खाने का भी खास महत्व होता है. मकर संक्रांति को खास तौर पर उत्तर भारत में खिचड़ी के नाम से ही जानते हैं. मकर संक्रांति के अलग स्थानों के हिसाब से अलग-अलग पारंपरिक नाम हैं. इसे भारत में उत्तरायण, साउथ में पोंगल, असम में माघ बिहू या भोगली बिहू के नाम से भी जाना जाता है.
सूर्य बदलते हैं अपना स्थान
इस दिन त्योहार मनाने के साथ-साथ विज्ञान से जुड़े भी कुछ खास परिवर्तन ग्रहों और वायुमंडल में देखे जाते हैं. मकर संक्रांति का एक नाम उत्तरायण भी है. उत्तरायण को विज्ञान में प्रकाश का समय माना गया है. सूर्य अपनी गति हर छह माह में बदलते हैं. छह माह वो उत्तरायण में रहते हैं, साथ ही छह माह दक्षिणायन में रहते हैं.
सूर्य इस दिन मकर रेखा में प्रवेश करते हैं यानि सूर्य के मकर रेखा से उत्तरी कर्क रेखा की ओर या उत्तरी गोलार्ध की ओर बढ़ने को उत्तरायण कहते हैं, मकर से मिथुन राशि तक चलने को उत्तरायण करते हैं. वहीं, अगले छह महीनों में वह अपनी स्थिति बदलते हैं और इसे दक्षिणायन कहते हैं. इस समय सूर्य कर्क से धनु राशि तक चलते हैं.
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