Updated on: 17 March, 2025 08:07 PM IST | Mumbai
पापमोचनी एकादशी व्रत 25 मार्च 2025, मंगलवार को रखा जाएगा, जिसका पारण 26 मार्च को सुबह 8:50 बजे से पहले होगा.
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पापमोचनी एकादशी हिंदू धर्म में अत्यंत पुण्यदायी और पापों से मुक्ति दिलाने वाली मानी जाती है. यह चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को आती है. इस व्रत को करने से व्यक्ति अपने जीवन में जाने-अनजाने में किए गए पापों से मुक्त हो सकता है और आत्मिक शुद्धि प्राप्त कर सकता है. शास्त्रों में वर्णित है कि यह एकादशी विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने पिछले कर्मों के प्रभाव से छुटकारा पाना चाहते हैं और मोक्ष की ओर बढ़ना चाहते हैं.
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पापमोचनी एकादशी व्रत 25 मार्च 2025, मंगलवार को रखा जाएगा. इस व्रत का पारण 26 मार्च 2025, सुबह 8:50 बजे से पहले किया जाएगा.
एकादशी तिथि का समय
>> एकादशी तिथि प्रारंभ: 25 मार्च, सुबह 5:05 बजे से
>> एकादशी तिथि समाप्त: 26 मार्च, सुबह 3:45 बजे तक
>> पारण (व्रत खोलने का समय): 26 मार्च को सूर्योदय के बाद 8:50 बजे से पहले
पापमोचनी एकादशी का महत्व
पापमोचनी एकादशी हिंदू धर्म में अत्यंत पुण्यकारी मानी जाती है. यह चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को आती है. शास्त्रों के अनुसार, यह व्रत व्यक्ति को उसके पापों से मुक्त करने में सक्षम होता है, इसलिए इसे ‘पापमोचनी’ कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की उपासना करने से सभी प्रकार के दोष और बुरे कर्मों का प्रभाव समाप्त हो जाता है.
पौराणिक कथा
प्राचीन कथाओं के अनुसार, ऋषि मेधावी जो कि अत्यंत तपस्वी थे, एक अप्सरा के मोह में पड़कर अपने तप से विचलित हो गए. वर्षों बाद जब उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ, तो उन्होंने अपने पिता च्यवन ऋषि से समाधान पूछा. च्यवन ऋषि ने उन्हें पापमोचनी एकादशी का व्रत करने की सलाह दी. इस व्रत के प्रभाव से उन्होंने अपने सभी दोषों से मुक्ति पाई और पुनः आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त की.
व्रत विधि और नियम
1. व्रत की पूर्व संध्या: व्रत से एक दिन पहले सात्विक भोजन करें और मानसिक रूप से भगवान विष्णु का ध्यान करें.
2. स्नान और संकल्प: व्रत के दिन प्रातः काल स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा का संकल्प लें.
3. पूजा प्रक्रिया:
>> भगवान विष्णु की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित करें.
>> तुलसी पत्र, फल, फूल, पंचामृत और भोग अर्पित करें.
>> विष्णु सहस्रनाम या भगवद्गीता का पाठ करें.
4. उपवास नियम:
>> इस दिन अन्न ग्रहण न करें.
>> फलाहार या केवल जल पर रह सकते हैं.
>> यदि संभव हो तो निर्जला व्रत करें.
5. व्रत का पारण: द्वादशी तिथि में सूर्योदय के बाद ही व्रत खोलें.
इस व्रत के लाभ
>> व्यक्ति के जीवन के पाप नष्ट हो जाते हैं.
>> मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति मिलती है.
>> भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है.
>> मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है.
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