Updated on: 01 March, 2025 09:39 AM IST | mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
रमजान 2025 का पवित्र महीना भारत में 2 मार्च से शुरू होने की संभावना है, जो चांद के दीदार पर निर्भर करेगा. यह इस्लामिक कैलेंडर का सबसे खास महीना माना जाता है, जिसमें मुसलमान रोज़ा रखते हैं, इबादत करते हैं और जरूरतमंदों की मदद करते हैं.
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रमजान 2025 का पवित्र महीना भारत में 2 मार्च से शुरू होने की संभावना है, जो चांद के दीदार पर निर्भर करता है. इस्लामिक कैलेंडर में रमजान नौवां महीना होता है और इसे मुस्लिम समुदाय के लिए सबसे पाक (पवित्र) महीना माना जाता है. इस दौरान रोज़े रखे जाते हैं, इबादत की जाती है, और नेक कार्यों पर जोर दिया जाता है. आइए जानते हैं कि रमजान में रोज़ा कैसे रखा जाता है और इसका महत्व क्या है.
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रोज़ा रखने का तरीका
रोज़ा यानी उपवास इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है. यह सूर्योदय से सूर्यास्त तक रखा जाता है, जिसमें खाने-पीने से पूरी तरह परहेज किया जाता है. रोज़ा आत्म-संयम और अल्लाह की इबादत का प्रतीक है.
1. सहरी (Sehri):
>> रोज़े की शुरुआत सुबह सहरी (सूरज निकलने से पहले का भोजन) से होती है.
>> सहरी का समय फजर की अज़ान (सुबह की नमाज़) से पहले तक होता है.
>> इस दौरान लोग हल्का और पौष्टिक भोजन करते हैं, जिससे दिनभर भूख-प्यास सहन करने में आसानी हो.
2. रोज़े के दौरान:
>> रोज़ा रखने वाले दिनभर भोजन, पानी और किसी भी तरह के बुरे विचारों से दूर रहते हैं.
>> झूठ बोलना, गुस्सा करना, गपशप करना आदि रोज़े की पवित्रता को भंग कर सकते हैं, इसलिए संयम रखना जरूरी होता है.
>> इस दौरान अल्लाह की इबादत, कुरान की तिलावत (पाठ) और नेक कार्यों पर विशेष ध्यान दिया जाता है.
3. इफ्तार (Iftar):
>> रोज़ा सूर्यास्त के बाद इफ्तार (रोज़ा खोलने का समय) के साथ खोला जाता है.
>> सबसे पहले खजूर और पानी से रोज़ा खोला जाता है, इसके बाद हल्का भोजन किया जाता है.
>> मस्जिदों और घरों में इफ्तार का खास इंतजाम होता है, जिसमें सभी लोग मिलकर भोजन करते हैं.
रमजान का महत्व
आध्यात्मिक शुद्धि: रमजान के दौरान रोज़ा रखने से शरीर और आत्मा दोनों की शुद्धि होती है. यह एक आत्म-संयम और खुदा के प्रति भक्ति का महीना है.
कुरान का अवतरण: इस्लामी मान्यताओं के अनुसार, रमजान के महीने में ही पैगंबर मोहम्मद को पहली बार अल्लाह की ओर से कुरान शरीफ की आयतें प्राप्त हुई थीं. इसलिए इस महीने में कुरान की तिलावत (पढ़ना) और समझना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है.
नेकी और दान (जकात और सदका): रमजान में जकात (दान) देने की विशेष परंपरा है, जिससे गरीबों और जरूरतमंदों की मदद की जाती है. इस महीने में किए गए अच्छे कर्मों का 70 गुना ज्यादा सवाब (पुण्य) मिलता है.
रहमत और माफी: रमजान के दौरान, मुसलमान मानते हैं कि अल्लाह अपने बंदों की दुआ कबूल करता है और उनके गुनाह माफ कर देता है. इसलिए, इस महीने में ज्यादा से ज्यादा इबादत करने की सलाह दी जाती है.
रमजान की समाप्ति और ईद-उल-फितर
रमजान 29 या 30 दिनों का होता है, जो चांद के दीदार पर निर्भर करता है. रमजान के बाद ईद-उल-फितर का त्योहार मनाया जाता है, जो रोज़ों की समाप्ति और अल्लाह की नेमतों के लिए शुक्रिया अदा करने का दिन होता है.
ईद के दिन, सभी मुसलमान सुबह ईद की नमाज़ अदा करते हैं और एक-दूसरे को गले मिलकर ईद मुबारक कहते हैं. इस दिन विशेष पकवान बनाए जाते हैं और ग़रीबों को दान (फित्रा) देना अनिवार्य माना जाता है.
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