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रंगभरी एकादशी 2024: बाबा विश्वनाथ की होली से शुभ रंगों की होगी शुरुआत

Updated on: 04 March, 2025 09:19 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

रंगभरी एकादशी 2024 फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है, जिसे आमलकी एकादशी भी कहा जाता है. इस वर्ष यह व्रत 10 मार्च को रखा जाएगा.

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फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रंगभरी एकादशी या आमलकी एकादशी कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है. इस वर्ष रंगभरी एकादशी 10 मार्च 2024 को मनाई जाएगी. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और भगवान की पूजा करने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

रंगभरी एकादशी तिथि और समय


>> एकादशी तिथि प्रारंभ: 9 मार्च 2024 को सुबह 8:15 बजे


>> एकादशी तिथि समाप्त: 10 मार्च 2024 को सुबह 8:05 बजे

>> व्रत का दिन: 10 मार्च 2024 (उदयातिथि के अनुसार)


रंगभरी एकादशी का महत्व

रंगभरी एकादशी को बेहद शुभ माना जाता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव माता पार्वती को गौना कराकर काशी लाते हैं और इस दिन से होली का उत्सव प्रारंभ हो जाता है. खासतौर पर काशी (वाराणसी) में इस दिन रंग खेलने की परंपरा होती है, जिसे बाबा विश्वनाथ की होली कहा जाता है.

इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और पापों का नाश होता है. इसे आमलकी एकादशी भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व होता है. मान्यता है कि आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है, इसलिए इस दिन आंवले की पूजा करने और उसके फल का सेवन करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है.

रंगभरी एकादशी पूजन विधि

>> प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें.

>> भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र को गंगाजल से स्नान कराएं और पीले वस्त्र पहनाएं.

>> भगवान विष्णु को तुलसी, फूल, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें.

>> आंवले के वृक्ष की पूजा करें और आंवले के फल का दान करें.

>> इस दिन विष्णु सहस्रनाम या भगवद गीता का पाठ करें.

>> रात में जागरण करें और भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन करें.

>> अगले दिन (द्वादशी तिथि) पर ब्राह्मणों को भोजन कराकर व्रत का पारण करें.

रंगभरी एकादशी से जुड़े लाभ

>> इस व्रत से पुण्य की प्राप्ति होती है और पापों का नाश होता है.

>> यह व्रत संतान प्राप्ति, सुख-समृद्धि और मानसिक शांति के लिए उत्तम माना जाता है.

>> इसे करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और व्यक्ति को विष्णु लोक में स्थान मिलता है.

रंगभरी एकादशी न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह होली के शुभ अवसर का भी प्रतीक मानी जाती है. यह पर्व भक्तों के लिए भगवान विष्णु और शिव की भक्ति में लीन होने का अवसर प्रदान करता है. श्रद्धालु इस दिन व्रत रखकर और पूजन करके ईश्वर की कृपा प्राप्त कर सकते हैं.

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