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30 मई को है ज्येष्ठ माह का पहला कालाष्टमी का व्रत, यहां जाने महत्व

Updated on: 29 May, 2024 10:15 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

पूजा के लिए जल, अक्षत, कुमकुम, धूप, दीप, फूल, फल, मिठाई, और भोग की सामग्री तैयार रखें.

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Masik Kalashtami 2024: कालाष्टमी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो भगवान कालभैरव की पूजा के लिए समर्पित है. ज्येष्ठ माह का पहला मासिक कालाष्टमी का व्रत 30 मई 2024 को मनाया जाएगा. भगवान कालभैरव, शिव जी के एक रौद्र और शक्तिशाली रूप हैं, जिन्हें समय और मृत्यु के देवता माना जाता है. यह व्रत हर महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. भगवान कालभैरव का वाहन कुत्ता होता है और उन्हें विशेष रूप से काशी (वर्तमान वाराणसी) में पूजा जाता है.

कालाष्टमी का महत्व
कालाष्टमी का व्रत उन लोगों के लिए विशेष महत्व रखता है जो अपने जीवन से नकारात्मकता और भय को दूर करना चाहते हैं. भगवान कालभैरव की पूजा करने से सभी प्रकार के संकट, रोग, शत्रु, और बुरे सपने दूर हो जाते हैं. इसे करने से व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्थिति में सुधार होता है और उसे आत्मविश्वास और शांति प्राप्त होती है. इस व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और उसे जीवन की कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति मिलती है.


व्रत की विधि


1. स्नान और शुद्धि: व्रत के दिन प्रातःकाल स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें. इसके बाद भगवान कालभैरव की पूजा के लिए अपने पूजा स्थल को स्वच्छ करें. पूजा स्थल पर भगवान कालभैरव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें.

2. पूजा सामग्री: पूजा के लिए जल, अक्षत, कुमकुम, धूप, दीप, फूल, फल, मिठाई, और भोग की सामग्री तैयार रखें. भगवान कालभैरव के चित्र या मूर्ति के समक्ष ये सभी सामग्री अर्पित करें.


3. मंत्र जाप: कालभैरव के मंत्र का जाप करें. उनका प्रसिद्ध मंत्र "ॐ कालभैरवाय नमः" है. इसके अतिरिक्त, "काल भैरव अष्टकम्" का पाठ भी करें. मंत्र जाप से मानसिक शांति और ध्यान की प्राप्ति होती है.

4. व्रत कथा: पूजा के दौरान या दिन में कालाष्टमी व्रत की कथा सुनें या पढ़ें. यह कथा भगवान कालभैरव के अवतार और उनके द्वारा किए गए कार्यों का वर्णन करती है. व्रत कथा सुनने से भक्तों के मन में भगवान के प्रति श्रद्धा और विश्वास बढ़ता है.

5. आरती और भोग: पूजा के अंत में भगवान कालभैरव की आरती करें और भोग अर्पित करें. भोग को सबसे पहले भगवान को समर्पित करें और फिर प्रसाद के रूप में ग्रहण करें. आरती के दौरान भगवान के भजन और कीर्तन करें, जिससे वातावरण पवित्र और धार्मिक हो जाता है.

6. रात्रि जागरण: कई भक्त इस दिन रात्रि जागरण भी करते हैं, जिसमें भगवान का ध्यान और भजन-कीर्तन किया जाता है. रात्रि जागरण से भक्तों को भगवान के साथ आत्मिक संबंध स्थापित करने का अवसर मिलता है.

व्रत के लाभ
कालाष्टमी का व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो जीवन में भय, तनाव, और नकारात्मक शक्तियों से पीड़ित हैं. भगवान कालभैरव की कृपा से उन्हें मानसिक शांति, आत्मबल, और सभी प्रकार की समस्याओं से मुक्ति मिलती है। इसके अतिरिक्त, इस व्रत को करने से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है और उसे जीवन में सफलता प्राप्त होती है.

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