होम > लाइफस्टाइल > धर्म > आर्टिकल > भगवान कृष्ण और द्रौपदी से प्रारंभ हुई रक्षाबंधन की पवित्र परंपरा, यहां पढ़े पूरी कहानी

भगवान कृष्ण और द्रौपदी से प्रारंभ हुई रक्षाबंधन की पवित्र परंपरा, यहां पढ़े पूरी कहानी

Updated on: 19 August, 2024 09:28 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

भगवान कृष्ण और द्रौपदी की यह कहानी हमें यही संदेश देती है कि स्नेह और त्याग के इस बंधन को किसी भी परिस्थिति में निभाना चाहिए.

द्रौपदी के इस त्याग और स्नेह को देखकर कृष्ण अत्यंत प्रभावित हुए और उन्होंने द्रौपदी को यह वचन दिया कि वह हमेशा उनकी रक्षा करेंगे.

द्रौपदी के इस त्याग और स्नेह को देखकर कृष्ण अत्यंत प्रभावित हुए और उन्होंने द्रौपदी को यह वचन दिया कि वह हमेशा उनकी रक्षा करेंगे.

रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम और सुरक्षा के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. इस पर्व की शुरुआत की कहानी महाभारत काल से जुड़ी हुई है, जिसमें भगवान कृष्ण और द्रौपदी के बीच का प्रसंग प्रमुख है. कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध के दौरान एक बार भगवान कृष्ण ने शिशुपाल का वध करते समय अपने सुदर्शन चक्र का उपयोग किया. इस दौरान उनकी उंगली कट गई और रक्त बहने लगा. द्रौपदी ने इस दृश्य को देखकर तुरंत अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर कृष्ण की उंगली पर बांध दिया ताकि रक्त बहना बंद हो जाए. द्रौपदी के इस त्याग और स्नेह को देखकर कृष्ण अत्यंत प्रभावित हुए और उन्होंने द्रौपदी को यह वचन दिया कि वह हमेशा उनकी रक्षा करेंगे.

यही घटना रक्षाबंधन के त्योहार का आधार मानी जाती है, जिसमें एक बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसकी लंबी उम्र और सुरक्षा की कामना करती है. बदले में भाई उसकी रक्षा करने का वचन देता है. यह त्योहार इसी पवित्र संबंध और वचन का प्रतीक है, जो समय के साथ और भी मजबूत होता गया है.


रक्षाबंधन का यह पर्व हमें यह सिखाता है कि भाई-बहन का रिश्ता केवल खून का नहीं, बल्कि विश्वास और प्रेम का होता है. भगवान कृष्ण और द्रौपदी की यह कहानी हमें यही संदेश देती है कि स्नेह और त्याग के इस बंधन को किसी भी परिस्थिति में निभाना चाहिए. यही कारण है कि रक्षाबंधन का त्योहार भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, और इसे बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.


अन्य आर्टिकल

फोटो गेलरी

रिलेटेड वीडियो

This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy. OK