Updated on: 18 June, 2024 07:00 AM IST | mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
पुरी के जगन्नाथ मंदिर के चारों गेट खोल दिए गए हैं. भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनाव से पहले अपने घोषणा पत्र में मंदिर के सभी गेट खोलने का वादा किया था, अब नवनिर्वाचित भाजपा सरकार ने चारों गेट खोलने का फैसला भी कर दिया है.
पुरी जगन्नाथ मंदिर. (फोटो-आईस्टाक)
पुरी के जगन्नाथ मंदिर के चारों गेट खोल दिए गए हैं. भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनाव से पहले अपने घोषणा पत्र में मंदिर के सभी गेट खोलने का वादा किया था, अब नवनिर्वाचित भाजपा सरकार ने चारों गेट खोलने का फैसला भी कर दिया है. पहले मंदिर जाने के लिए भक्तों को परेशानी का सामना करना पड़ता था, अब भक्त किसी भी मंदिर से एंट्री करवा सकते हैं.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
हालांकि, मंदिर के सभी गेट खुलने से लोगों में खुशी तो है लेकिन अब तक ये गेट क्यों बंद थे, तो आइए आपको बताते हैं इसका कारण...
कुल इतने हैं गेट
जगन्नाथ मंदिर में एंट्री के लिए चार दरवाजे हैं, इनके नाम हैं- सिंह द्वार, अश्व द्वार, व्याघ्र द्वार, हस्ति द्वार. जगन्नाथ मंदिर के ये सभी द्वार हमेशा से बंद नहीं थे. कुछ साल पहले इन्हें बंद किया गया था. एक दरवाजा भक्तों की एंट्री और एग्जिट के लिए खोला गया था. अब तक सिंह द्वार ही खुला था, अब अश्व द्वार, व्याघ्र द्वार, हस्ति द्वार भी खोल दिया गया है.
इस कारण से बंद किए गए थे तीन दरवाजे
जगन्नाथ मंदिर के तीन दरवाजे साल 2019 में कोरोना वायरस महामारी के दौरान बंद किया था. इसे बंद करने का उद्देश्य भीड़ को कंट्रोल करना और सोशल डिस्टेंसिंग को मेंटेन करनना था. ऐसे में चारों दरवाजों में से एक ही गेट को खोला गया था.
साल 2019 से ये गेट बंद थे. बीजेपी ने चुनाव से पहले इन दरवाजों को खुलवाने का वादा किया था. इस पांच सालों के दौरान इन गेटों को खोलने की मांग की गई थी, हालांकि दर्शन के लिए काफी इंतजार करना पड़ता था.
कुछ ऐसा है चारों गेटों की कहानी
आज तक की एक रिपोर्ट के अनुसार सिंह द्वार- ये चारों दरवाजें चार दिशाओं में हैं और इन चारों दरवाजों के नाम जानवरों पर हैं. सिंह द्वार मंदिर की पूर्व दिशा में है, जो सिंह यानी के नाम पर है. ये जगन्नाथ मंदिर में एंट्री करने का मुख्य द्वार है और इसे मोक्ष का द्वार भी कहा जाता है.
व्याघ्र द्वार- इस दरवाजे का नाम बाघ पर है, जिसे आकांक्षा का प्रतीक माना जाता है. ये गेट पश्चिम दिशा में है और इस गेट से संत और खास भक्त एंट्री लेते हैं.
हस्ति द्वार- हस्ति द्वार का नाम हाथी पर है और यह उत्तर दिशा में है. दरअसल, हाथी को धन की देवी लक्ष्मी का वाहन माना जाता है और लक्ष्मी का प्रतीक है. कहा जाता है कि इस द्वार पर दोनों तरफ हाथी की आकृति बनी हुई है, जिन्हें मुगल काल में उन्हें क्षतिग्रस्त कर दिया गया.
अश्व द्वार- अश्व द्वार दक्षिण दिशा में है और घोड़ा इसका प्रतीक है. इसे विजय का द्वार भी कहा जाता है और जीत की कामना के लिए योद्धा इस गेट का इस्तेमाल किया करते थे.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT