Updated on: 21 June, 2024 09:52 AM IST | Mumbai
Ujwala Dharpawar
पूजा के दौरान उपयोग की जाने वाली सामग्री का विशेष महत्व होता है.
शुद्ध मन और भक्ति भाव से पूजा करने से ही पूजा का पूर्ण फल मिलता है.
Vat Savitri Purnima: वटसावित्री व्रत हिन्दू धर्म में विवाहित स्त्रियों के लिए विशेष महत्व रखता है. इस व्रत का उद्देश्य अपने पति की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करना है. इसे वटपौर्णिमा या वट सावित्री व्रत के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन, महिलाएं वट (बरगद) वृक्ष की पूजा करती हैं और उपवास रखती हैं. विभिन्न क्षेत्रों में यह व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या या पूर्णिमा को किया जाता है. महाराष्ट्र में इसे ज्येष्ठ पूर्णिमा को मनाया जाता है और इस वर्ष वटपौर्णिमा 21 जून को है. वटसावित्री व्रत की प्रमुख कथा सावित्री और सत्यवान की है. पौराणिक कथा के अनुसार, सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा यमराज से की थी. सावित्री की भक्ति और समर्पण से प्रसन्न होकर यमराज ने सत्यवान के प्राण वापस कर दिए थे. तभी से विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए यह व्रत करती हैं.
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हालांकि, पूजा के दौरान कुछ गलतियाँ करना अशुभ माना जाता है. यहाँ वटपौर्णिमा पूजा के दौरान की जाने वाली कुछ प्रमुख गलतियों का उल्लेख किया जा रहा है, जिन्हें टालने का प्रयास करना चाहिए:
>> पूजा के दौरान उपयोग की जाने वाली सामग्री का विशेष महत्व होता है. पूजा में वट वृक्ष के पत्ते, धूप, दीप, फल, फूल, चावल, रोली, मौली (कलावा), और जल का सही उपयोग आवश्यक है. इन सामग्रियों की अनुपस्थिति में पूजा अधूरी मानी जाती है. इसलिए, पूजा के पहले सभी आवश्यक सामग्री को एकत्र कर लेना चाहिए.
>> पूजा स्थल की सफाई और पवित्रता बहुत महत्वपूर्ण है. गंदे स्थान पर पूजा करना अशुभ माना जाता है. पूजा स्थल को साफ और शुद्ध रखें. पूजा करने से पहले स्वयं स्नान करें और साफ कपड़े पहनें.
>> वटपौर्णिमा पूजा को सही मुहूर्त में करना अत्यंत महत्वपूर्ण है. शुभ मुहूर्त में पूजा करने से पूजा का पूर्ण फल मिलता है. अशुभ समय में पूजा करने से पूजा का फल कम हो सकता है. इसलिए, शुभ मुहूर्त की जानकारी प्राप्त करें और उसी के अनुसार पूजा करें.
>> पूजा विधि का सही से पालन करना आवश्यक है. पूजा में वट वृक्ष की प्रदक्षिणा करना, मौली बांधना, और व्रत कथा सुनना शामिल है. गलत विधि से पूजा करने पर पूजा का पूरा फल नहीं मिल पाता. इसलिए, पूजा विधि की सही जानकारी रखें और उसका पालन करें.
>> वटपौर्णिमा के दिन व्रत रखा जाता है और इसके कुछ नियम होते हैं. व्रत के दौरान सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए और नकारात्मक विचारों से दूर रहना चाहिए. व्रत के नियमों का उल्लंघन करने से व्रत का फल नहीं मिलता। इसलिए, व्रत के नियमों का पालन करें.
>> पूजा के दौरान मन को शुद्ध और एकाग्र रखना चाहिए. मन में नकारात्मक विचार या ईर्ष्या जैसे भाव नहीं आने चाहिए. शुद्ध मन और भक्ति भाव से पूजा करने से ही पूजा का पूर्ण फल मिलता है.
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