Updated on: 25 August, 2024 12:58 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
कृष्ण की बांसुरी ने उनके जीवनकाल में अनेकों को प्रेरित किया, और उसका टूटना एक नए युग की शुरुआत का संकेत था.
कृष्ण के मन में भी गहरी पीड़ा थी.
Why did Lord Krishna break his flute after the Mahabharata war ended: भगवान कृष्ण की बांसुरी उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा थी. यह न केवल उनके संगीत का साधन थी, बल्कि उनके भक्तों के लिए उनकी दिव्य उपस्थिति का प्रतीक भी थी. कहा जाता है कि उनकी बांसुरी की मधुर ध्वनि से न केवल गोपियां मोहित हो जाती थीं, बल्कि वृंदावन के पशु-पक्षी और प्रकृति भी उनकी धुनों में खो जाती थी. एक समय की बात है, जब महाभारत का युद्ध समाप्त हो चुका था, और कृष्ण द्वारका लौट आए थे. युद्ध में अपार विनाश और हानि हुई थी, और कृष्ण के मन में भी गहरी पीड़ा थी. यह समय उनके जीवन का एक अंतिम पड़ाव भी था. उन्होंने अनुभव किया कि उनका समय संसार में अब समाप्त होने वाला है.
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इस अवस्था में, जब कृष्ण अपने अंतिम समय की ओर अग्रसर थे, उन्होंने अपनी प्रिय बांसुरी को तोड़ दिया. यह क्रिया उनके द्वारा संसार के साथ अपने सभी सांसारिक और भौतिक संबंधों को तोड़ने का प्रतीक थी. उन्होंने यह दर्शाया कि उनका मिशन पूरा हो चुका है और अब उनके लिए इस धरती पर कोई और कार्य शेष नहीं है. बांसुरी के टूटने के साथ ही, वृंदावन में एक गहरा मौन छा गया. गोपियां और उनके भक्त विह्वल हो उठे. बांसुरी की ध्वनि, जो कभी उनके जीवन में आनंद और शांति का स्रोत थी, अब एक याद बन कर रह गई थी.
यह घटना भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण शिक्षा भी देती है कि जीवन में हर वस्तु की एक निश्चित अवधि होती है, और हर अंत के साथ एक नई शुरुआत होती है. कृष्ण की बांसुरी ने उनके जीवनकाल में अनेकों को प्रेरित किया, और उसका टूटना एक नए युग की शुरुआत का संकेत था.
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