Updated on: 18 November, 2023 05:00 PM IST | mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
छठ पूजा की शुरुआत 17 नवंबर से हुई है. इसके लिए 19 नवंबर को संध्या अर्घ्य और 20 नवंबर को सुबह अर्घ दिया जाएगा.
तस्वीर/समीर मारकंडे
छठ पूजा की शुरुआत 17 नवंबर से हुई है. इसके लिए 19 नवंबर को संध्या अर्घ्य और 20 नवंबर को सुबह अर्घ दिया जाएगा. आइए आपको बताते हैं कि इस व्रत को लेकर पौराणिक कथा क्या है, साथ ही इस व्रत में बांस की डलिया में क्या प्रसाद चढ़ाया जाता है.
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प्रसाद में किन चीजों का महत्व
छठ पूजन में बांस की डलिया और सूप में रखे जाने वाले प्रसाद का भी विशेष महत्व होता है. इसमें बांस की डलिया में ठेकुआ, मूली, बड़ा एवं छोटा नींबू, अदरक, सिंघाड़े, हल्दी के पत्ते, नारियल, मेवा, कद्दू, आदि प्रसाद रखा जाता है. अर्घ्य देते समय सूप में ही सामग्री को रखकर दिया जलाकर पूजन करते हैं. यह प्रसाद घर के पुरुष ही सर पर रखकर पूजा स्थल तक ले जाते हैं.
छठ पूजा का विशेष महत्व
छठ पूजा भारतीय आस्था का पर्व है. मान्यता है कि छठी मइया बच्चों की रक्षा करती हैं इसलिए माताएं इस कड़े व्रत को भी अपने बच्चों के लिए करती हैं. ऐसा भी माना जाता है कि जो इस व्रत को पूरे विधान से करता है उसका घर सुख-सम्पदा से भर जाता है. इसे सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है. यह व्रत खासतौर पर पुत्रप्राप्ति के लिए किया जाता है जो कि उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड राज्य का प्रमुख त्योहार है, जो साल में दो बार मनाया जाता है.
पहला चैती छठ पूजन और दूसरा कार्तिक छठ पूजन
इस पूजन को लेकर कई पौराणिक कथाएं हैं, ऐसा माना जाता है कि महाभारत काल में राजपाठ जाने के बाद वनवास और अज्ञातवास काल के दौरान द्रौपदी ने सबसे पहले यह व्रत रखा था. जिससे उन्हें यश कीर्ति वापस मिली थी. वहीं, यह भी मान्यता है कि भगवान राम का राज्याभिषेक हुआ तो छठ पूजन के दिन ही पूरे परिवार के साथ उन्होंने सूर्य देवता की पूजा की थी.
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