mid-day से योग गुरु मंगलाराम पटेल ने की बातचीत
अपने बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा, `मेरा नाम मंगलाराम पटेल है. मैं पेशे से एक योग थेरेपिस्ट हूं. मेरा जन्म राजस्थान के जोधपुर जिले के रोहिचा खुर्द में हुआ. मेरा बचपन गांव में बीता. मेरे गांव में मेरी प्राथमिक शिक्षा हुई. जहां मैंने 5वीं कक्षा तक पढ़ाई की.`
`मेरे पिता पेशे से किसान हैं. बचपन में मैंने खेती-किसानी से जुड़ा काम किया है. इसके बाद मेरे पिता ने मुझे मेरे चाचा के पास कर्नाटक भेज दिया. कर्नाटक में मैंने लगभग 7 से 8 साल तक अपने चाचा की दुकान में सेल्समैन के रूप में काम किया. इसके बाद मैं अपनी जन्मभूमि राजस्थान लौट आया.`
`मेरी ज्यादा पढ़ाई नहीं हुई थी, इस कारण मैंने कारपेंटर के तौर पर काम करना शुरू कर दिया. इसके बाद मैंने इस पेशे में अपनी स्किल्स इम्प्रोव करते हुए इंटीरियर फर्नीचर में अच्छा काम किया. इस फिल्ड में मैंने 15 से 18 सालों तक काम किया.`
`योग में आना इसके पीछे एक बेहद रोचक कहानी हैं. साल 2005 की बात है. मैं और मेरी पत्नी हम दोनों ही मॉर्निंग वॉक के लिए निकले तो घर के सामने ही आर्य समाज का एक व्यायम शाला शाखा थी. हमने देखा सुबह के समय में एक योग क्लास चल रहा है. हमने इसमें भाग लिया. 3 से 4 दिन रोजाना गए. इसके बाद एक रूटिंग बन गया.`
`आर्य समाज के जो शाखा प्रमुख थे वह मुझसे काफी प्रभावित हुए. उन्हें मेरा योग करने के तरीका बहुत पसंद आया. उन्होंने मुझे निवेदन किया कि पटेल साहब आप सभी को योगाभ्यास करवाएं आप बहुत अच्छा कर रहे हैं.`
धीरे-धीरे मैंने वहां पर आने वाले लोगों को योग सीखना शुरू किया. योग सिखाते-सिखाते मैं खुद भी इसे बहुत अच्छे से करने लगा. इसके बावजूद मुझे लगता था कि योग और ज्यादा बेहतरीन तरीके से सिखने की जरुरत है. फिर मैं अपनी शिक्षा पूरी करने के फैसला लिया. जहां मैंने 1992 में 5वीं पास कर अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी. इसके बाद मैंने दसवीं की परीक्षा दी, मैंने 12वीं परीक्षा दी. मैंने योग में ग्रेजुएशन किया, योग में पोस्ट ग्रेजुएशन किया. नेचुरोपैथी में डिप्लोमा किया, आयुर्वेद में डिप्लोमा किया, योग में मास्टर किया, मैं अब PHD कर रहा हूं.`
योग में मेरी यात्रा दिलचस्प होने के साथ-साथ प्रतिस्पर्धी भी थी. मैं अपनी ऐज कैटेगरी में डिस्ट्रिक्ट लेवल पर, अपनी पोजीशन बनाते हुए. मैं राष्ट्रीय स्तर तक योग खिलाड़ी रहा हूं. मैं नेशनल लेवल रेफरी भी रह चूका हूं.`
2017 में चौथे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर राजस्थान सरकार और पतंजलि के तत्वावधान में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. जिसमें मैं व्यक्तिगत रूप से योग का एक आसान जिसका नाम है ऊंट मुद्रा यानी कैमल पोज इसे कर मैंने अपना वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया. इस आसन में मैं 25 मिनट तक स्थिर बना हुआ था. इसके साथ ही मैं कई योग प्रतियोगिताओं में और कई जगहों पर मेडल जीते.`
मैं सार्वजनिक क्षेत्र में निःशुल्क योग शिविरों के माध्यम से लोगों को स्वास्थ्य लाभ पहुंचने की कोशिश की. मैंने कई वर्षों तक आर्य समाज में लोगों को योग सिखाया और उन्हें स्वास्थ्य लाभ प्रदान किया. वर्तमान में भी मैं लगातार अलग-अलग स्थान के ऊपर जाकर फ्री सेवा दे रहा हूं.
हाल ही में मैंने जोधपुर के केंद्रीय कारागार सेंट्रल में निशुल्क योग शिविर का आयोजन कर लोगों को योग के प्रति जागरूक करता हूं.
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