Updated on: 23 January, 2025 02:13 PM IST | Mumbai
Faizan Khan
मुंबई क्राइम ब्रांच यूनिट-5 ने 38 वर्षीय अफगान नागरिक हबीबुल्लाह प्रांग उर्फ जहीर अली खान को फर्जी पहचान के आधार पर भारत में रहने के आरोप में दोषी ठहराया है.
Arrested Afghan national
क्राइम ब्रांच यूनिट-5 ने 38 वर्षीय अफगान नागरिक हबीबुल्लाह प्रांग (उर्फ जहीर अली खान) को दोषी ठहराने में सफलता प्राप्त की है, जो फर्जी पहचान के आधार पर भारत में रह रहा था. इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 465, 468 और 471 के साथ-साथ पासपोर्ट अधिनियम, विदेशी अधिनियम और विदेशी आदेश, 1948 के प्रावधानों के तहत आरोप लगाए गए थे.
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एक गुप्त सूचना पर कार्रवाई करते हुए, यूनिट-5 की टीम ने वडाला में एक स्थान पर छापा मारा और पाया कि मूल रूप से अफगानिस्तान के पाकिता प्रांत के तामेर जुरमत जिले का रहने वाला आरोपी फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करके 2007 से मुंबई में रह रहा था. इनमें जहीर अली खान नाम से एक पैन कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस शामिल था.
पूरी जांच और साक्ष्य प्रस्तुत करने के बाद, अतिरिक्त मुख्य महानगर दंडाधिकारी, 8वीं अदालत, मुंबई ने आरोपी को दोषी ठहराया. उसे 11 महीने के कारावास की सजा सुनाई गई और 8,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया. इसके अतिरिक्त, अदालत ने उसकी सजा पूरी होने पर उसे अफगानिस्तान निर्वासित करने का आदेश दिया.
ऑपरेशन और उसके बाद की सजा का नेतृत्व पुलिस इंस्पेक्टर घनश्याम नायर ने किया, जिसमें जांच अधिकारी सदानंद येरेकर, कोर्ट ऑफिसर पीएसआई विजय बेंडाले और पुलिस कांस्टेबल राउसाहेब फंडे का प्रमुख योगदान रहा.
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