प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह भूमि न केवल क्षेत्र के हरे-भरे फेफड़ों की तरह कार्य करती है, बल्कि यहां के निवासियों के लिए एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संपत्ति भी है. (Pics: Sameer Abedi)
उनका मानना है कि इस भूमि को धारावी पुनर्विकास के लिए अधिग्रहित करना क्षेत्र की पर्यावरणीय संरचना के साथ-साथ स्थानीय नागरिकों के अधिकारों का हनन है.
प्रदर्शनकारियों ने सरकार और अडानी ग्रुप पर निशाना साधते हुए कहा कि बड़े उद्योगपतियों के लाभ के लिए आम जनता की जमीन छीनी जा रही है.
कांग्रेस नेता वर्षा गायकवाड ने भी इस विरोध प्रदर्शन में भाग लिया और इसे लेकर सोशल मीडिया पर सरकार और अडानी ग्रुप पर तीखा हमला बोला. गायकवाड ने अपने बयान में लिखा, "जब भी अडानी सरकार से सवाल किया जाता है, तो वे पुलिस बल के पीछे छिप जाते हैं. आज जब हम मदर डेयरी कुर्ला में अडानी द्वारा भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रहे हैं, तो एक बार फिर पुलिस की एक बड़ी टुकड़ी लोगों को उनके अधिकारों के लिए लड़ने से रोकने के लिए भेजी गई है."
गायकवाड ने आगे लिखा, "हम शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने हमें रोक दिया. यह स्पष्ट है कि सरकार बड़े उद्योगपतियों के पक्ष में खड़ी है और आम जनता की आवाज को दबा रही है. लेकिन हम पीछे नहीं हटेंगे. हम अपने हरे फेफड़ों और अपने पर्यावरण को बचाने के लिए अंत तक लड़ेंगे."
प्रदर्शन के दौरान बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था, जिससे स्थानीय निवासियों और आंदोलनकारियों में असंतोष और बढ़ गया.
प्रदर्शनकारियों ने शांतिपूर्ण ढंग से अपना विरोध जताने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया.
मदर डेयरी की भूमि पर प्रस्तावित पुनर्विकास योजना को लेकर यह विरोध प्रदर्शन धारावी पुनर्विकास योजना में सरकार और स्थानीय निवासियों के बीच बढ़ते टकराव को उजागर करता है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि वे इस भूमि अधिग्रहण के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेंगे और इसके लिए हर संभव प्रयास करेंगे.
इस विरोध प्रदर्शन ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि विकास के नाम पर आम जनता के अधिकारों और पर्यावरण को कुर्बान करना कितना उचित है.
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