Updated on: 04 December, 2023 11:03 AM IST | mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
आठ साल के बच्चे के साथ मारपीट के आरोप में अधेड़ के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. आरोपी ने बच्चे को इस कदर पीटा की बच्चा घर से बाहर निकलने से भी डरने लगा है. बोरीवली पुलिस ने शनिवार को आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया है.
हाउसिंग सोसाइटी के कैमरे में कैद हुई घटना का फ़ोटो.
बोरीवली: आठ साल के बच्चे के साथ मारपीट के आरोप में अधेड़ के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. आरोपी ने बच्चे को इस कदर पीटा की बच्चा घर से बाहर निकलने से भी डरने लगा है. बोरीवली पुलिस ने शनिवार को आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया है.
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बच्चों के खिलाफ हिंसा और दुर्व्यवहार का यह तीसरा मामला है, जिसमें हमला, थप्पड़ मारना और मौखिक दुर्व्यवहार शामिल हैं. मुंबई पुलिस ने आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. हमले के कारण बच्चा सदमे में आ गए हैं, जिसके कारण उसने घर से निकलना ही बंद कर दिया.
बोरीवली पुलिस ने बच्चे को मारने- पीटने और दुर्व्यवहार करने के लिए आरोपी (68) के खिलाफ एफआईआर दर्ज की. बच्चा, तीसरी कक्षा का छात्र, बोरिवली पश्चिम में अपने माता-पिता के साथ रहता है. आरोपी उसी हाउसिंग सोसाइटी का निवासी है जहां लड़का है.
पुलिस को दी गई माता-पिता की शिकायत के अनुसार, बच्चा डिप्रेशन में है और उसे एगोराफोबिया का पता चला है. बोरीवली पुलिस मामले की जांच में जुट गई है. इस मामले से कुछ दिन पहले ही बोरीवली पुलिस ने एक व्यक्ति के खिलाफ एक और एफआईआर दर्ज की थी, जिसने खेल के मैदान में चार साल के बच्चे को थप्पड़ मारा था.
बोरीवली पुलिस के अनुसार, आठ वर्षीय लड़के के साथ यह घटना 11 नवंबर को हुई जब वह हाउसिंग सोसाइटी के परिसर में दोस्तों के साथ खेल रहा था. बच्चों के इधर-उधर भागने से चिढ़कर आरोपी ने उन्हें कहीं और खेलने के लिए कहा. इसके बाद आरोपियों ने लड़के को पकड़कर पीटा. घटना सोसायटी में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई. घटना के बारे में पता चलते ही बच्चे की मां ने उसके पिता को फोन से मामले की जानकारी दी. घर पहुंचने पर पिता ने अपने बेटे से बात की, जिसने घटना के बारे में बताया. आरोपी ने बच्चे द्वारा दुर्व्यवहार का दावा करते हुए अपने कृत्य को उचित ठहराया.
बच्चे का इलाज करने वाले न्यूरोसाइकिएट्रिस्ट डॉ. दोशी ने मिड-डे को बताया, `बच्चे में एडजस्टमेंट डिसऑर्डर का पता चला है जो एगोराफोबिया में बदल सकता है. यह अधिकतर बच्चों और महिलाओं में पाया जाता है. कुछ मामलों में, हम मनोचिकित्सा देते हैं. अगर चिंता लंबे समय तक बनी रहे तो हम मनोचिकित्सा के साथ-साथ दवाएं भी देते हैं. कुछ मामलों में, बच्चे को लगता है कि वे कहीं फंस गए हैं और उनके पास बचने का कोई रास्ता नहीं है. इस मामले में बच्चे को तकलीफ हो रही है क्योंकि उसे पीटा गया और जोर-जोर से डांटा गया, जिसका असर उसके दिमाग पर पड़ा. हम माता-पिता से अनुरोध करते हैं कि यदि उनका बच्चा अलग व्यवहार कर रहा है, तो उन्हें इसका निदान करने के लिए मनोचिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए. इससे बच्चे को जल्द से जल्द सदमे से बाहर आने में मदद मिलेगी.”
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