23 मार्च 2025 को विले पारले, मुंबई में पूर्वांचल परिषद एवं बिहार प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वावधान में बिहार स्थापना दिवस एवं सहस्त्र चंद्र दर्शन समारोह का भव्य आयोजन हुआ.
Bihar Foundation Day
पूर्वांचल परिषद एवं बिहार प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वावधान में 23 मार्च 2025 को मुंबई के विले पारले स्थित एक प्रतिष्ठित सभागार में बिहार स्थापना दिवस एवं सहस्त्र चंद्र दर्शन समारोह का अत्यंत भव्य आयोजन किया गया. यह समारोह न केवल बिहार की सांस्कृतिक विरासत को समर्पित था, बल्कि मुंबई में बसे बिहारवासियों की सामाजिक एकता और गौरव का प्रतीक भी बना.
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कार्यक्रम की अध्यक्षता स्थानीय विधायक पराग अलवणी ने की, जिन्होंने बिहार की ऐतिहासिक महत्ता, संस्कृति और मेहनतकश प्रवासी समाज के योगदान पर प्रकाश डालते हुए आयोजकों की सराहना की. मंच संचालन की ज़िम्मेदारी उभामो मुंबई के महामंत्री रमाकांत गुप्ता ने कुशलता से निभाई, जिनके संचालन ने कार्यक्रम को एक व्यवस्थित और भावनात्मक प्रवाह दिया.
समारोह की शुरुआत भाजपा नेता आर.यू. सिंह द्वारा प्रस्तुत प्रस्तावना से हुई, जिसमें उन्होंने बिहार के गौरवशाली इतिहास और देश के निर्माण में उसकी भूमिका का उल्लेख किया. इसके उपरांत आयोजित भजन संध्या ने कार्यक्रम को आध्यात्मिक और भावनात्मक रंग प्रदान किया, जहाँ उपस्थित श्रोतागण भक्ति संगीत में डूब गए.
इस अवसर पर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को शाल, श्रीफल, पुष्पगुच्छ और गुढ़ी भेंटकर सम्मानित किया गया. समारोह की गरिमा तब और बढ़ गई जब भाजपा मुंबई के महामंत्री एवं विधायक संजय उपाध्याय ने प्रसिद्ध मजदूर नेता हरिनाथ तिवारी का विशेष रूप से सत्कार किया, जो सामाजिक संघर्ष और मज़दूर कल्याण के प्रतीक माने जाते हैं.
कार्यक्रम में दयानंद बालक विद्यालय ट्रस्ट के अध्यक्ष मिठाई लाल सिंह, पूर्व विधायक शचीन्द्र सिंह, शिक्षाविद् यज्ञनारायण दुबे, उत्तर भारतीय संघ के संतोष सिंह, चक्रधर झा, मोहन मिश्रा, विधायक विद्या ठाकुर और स्नेहा दुबे जैसे कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे.
इसके अतिरिक्त, समारोह में भाजपा के वरिष्ठ नेता कृपाशंकर सिंह, सिद्धिविनायक मंदिर के कोषाध्यक्ष आचार्य पवन त्रिपाठी, उभामो मुंबई के अध्यक्ष आर.डी. यादव, समाजसेवी एवं बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता और प्रवासी बिहारवासी शामिल हुए.
यह आयोजन न केवल बिहार की सांस्कृतिक पहचान को मुंबई में स्थापित करने वाला अवसर बना, बल्कि सामाजिक सौहार्द, गौरव और परंपराओं के सम्मान का प्रेरणास्रोत भी साबित हुआ.
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