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घाटकोपर में फेरीवालों की बढ़ती संख्या पर रोक लगाने के लिए बीएमसी ने रेलवे से मांगी मदद

Updated on: 08 April, 2025 09:23 AM IST | Mumbai
Sameer Surve | sameer.surve@mid-day.com

बीएमसी का कहना है कि रेलवे को दूर-दराज के उपनगरीय इलाकों से आने वाले फेरीवालों पर स्टेशन परिसर में ही नजर रखनी चाहिए, ताकि वे घाटकोपर की सड़कों पर भीड़ न लगाएं.

Representational Image

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बीएमसी के घाटकोपर वार्ड कार्यालय ने अब रेलवे से अनुरोध किया है कि वह दूर-दराज के उपनगरीय इलाकों से ट्रेन पकड़कर घाटकोपर में फेरी लगाने आने वाले फेरीवालों पर नजर रखे. यह पहली बार है जब नगर निगम ने रेलवे से अनुरोध किया है कि वह फेरीवालों को स्टेशन परिसर में आने से पहले ही रोक दे, इससे पहले कि वे घाटकोपर की सड़कों पर भीड़ लगा दें. मिड-डे ने फेरीवालों की समस्याओं के बारे में कई बार रिपोर्ट की है.

एन वार्ड के सहायक नगर आयुक्त (एएमसी) ने पिछले सप्ताह घाटकोपर स्टेशन मास्टर को पत्र लिखकर पड़ोसी ठाणे शहर से फेरीवालों को घाटकोपर स्टेशन पर उतरने से रोकने के लिए सहायता मांगी थी, ताकि उन्हें बाहर निकलने से पहले ही रोका जा सके.


एन वार्ड एएमसी गजना बेल्लाले ने पुष्टि की कि घाटकोपर स्टेशन मास्टर को एक पत्र भेजा गया था. बेल्लाले ने कहा, "हमने स्टेशन अधिकारियों से अनुरोध किया है कि वे लोकल ट्रेनों से यात्रा करने वाले फेरीवालों पर नजर रखें. बीएमसी क्षेत्राधिकार में फेरीवालों के खिलाफ हमारी कार्रवाई जारी रहेगी." एन वार्ड कार्यालय के एक बीएमसी अधिकारी ने कहा, "ये फेरीवाले मुख्य रूप से ठाणे के आस-पास के इलाकों से आते हैं. रेलवे प्रशासन उनके टिकट की जाँच कर सकता है और उन्हें घाटकोपर स्टेशन पर रोक सकता है. साथ ही, रेलवे प्रशासन उनसे अपने बैज रेलवे परिसर में जमा करने के लिए कह सकता है ताकि वे स्टेशन के बाहर ही काम कर सकें."


बीएमसी स्टाफ रात 9 बजे तक तैनात रहता है. उसके बाद, फेरीवाले वापस लौट जाते हैं, जो कि अधिकतम पैदल यात्रियों का समय भी होता है. बीएमसी के एक अधिकारी ने कहा, "हमने स्थानीय पुलिस से रात में फेरीवालों पर नज़र रखने के लिए भी कहा है. स्टेशन परिसर में फेरीवालों को रोकने से हमें अपने कर्तव्यों का पालन करने में मदद मिलेगी."

अधिकारी की बात


सेंट्रल रेलवे के मुख्य प्रवक्ता डॉ स्वप्निल नीला ने कहा, "हमारे लिए, यात्रा करने वाला हर व्यक्ति सिर्फ़ यात्री है. हम बिना टिकट यात्रा करने वाले यात्रियों के खिलाफ़ कार्रवाई कर सकते हैं, लेकिन हम उन्हें गिरफ़्तार नहीं कर सकते. साथ ही, हम किसी को भी सामान के साथ यात्रा करने से नहीं रोक सकते."

स्थानीय लोगों की राय

घाटकोपर निवासी कमलेश कपासी ने कहा, "हम फेरीवालों से तंग आ चुके हैं. यह सड़क पर अतिक्रमण की बात नहीं है, बल्कि ये फेरीवाले जगह को गंदा भी करते हैं. ये फेरीवाले ज़्यादातर शहर के बाहर से ट्रेन से आते हैं. रेलवे पुलिस उन्हें नियंत्रित कर सकती है, क्योंकि ज़्यादातर वे बिना लगेज टिकट के यात्रा करते हैं." कपासी के अनुसार, फेरीवाले कई बार अपना सामान रेलवे परिसर में भी रख देते हैं, जिससे जगह पर अवैध कब्जा हो जाता है.

सचिन मांजरेकर ने कहा, "बार-बार कार्रवाई के बाद भी फेरीवाले उसी जगह पर वापस आ जाते हैं. सभी एजेंसियों के समन्वय से कार्रवाई होनी चाहिए. पुलिस को भी फेरीवालों के खिलाफ़ कार्रवाई करनी चाहिए." घाटकोपर पश्चिम के कामा लेन निवासी रवि महेता ने कहा, "पिछले कुछ सालों में इन फेरीवालों की संख्या बढ़ गई है. फुटपाथ के बाद, उन्होंने सड़क पर भी अतिक्रमण कर लिया है. इससे पैदल चलने वालों को सड़क पर चलने के लिए मजबूर होना पड़ता है. हालांकि बीएमसी कार्रवाई कर रही है, लेकिन इस समस्या का कोई स्थायी समाधान नहीं है."

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