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बॉम्बे HC का मालेगांव ब्लास्ट पर आधारित फिल्म की रिलीज पर रोक से इनकार, कहा- `काल्पनिक है`

Updated on: 14 November, 2024 07:16 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

न्यायमूर्ति बीपी कोलाबावाला और सोमशेखर सुंदरसन की खंडपीठ ने मामले में आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया.

प्रतीकात्मक तस्वीर

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बॉम्बे हाई कोर्ट (HC) ने गुरुवार को 2008 के मालेगांव विस्फोट पर आधारित फिल्म `मैच फिक्सिंग - द नेशन एट स्टेक` की रिलीज पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, यह देखते हुए कि यह एक काल्पनिक रचना है. फिल्म गुरुवार को रिलीज होने वाली है. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार न्यायमूर्ति बीपी कोलाबावाला और सोमशेखर सुंदरसन की खंडपीठ ने मामले में आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें दावा किया गया था कि यह फिल्म मुकदमे को प्रभावित करेगी. पुरोहित के वकील ने कहा कि फिल्म "भगवा आतंक" को दर्शाती है. पुरोहित ने दावा किया कि फिल्म ने उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल किया है. फिल्म के निर्माता ने अदालत को बताया कि यह बाजार में पहले से उपलब्ध एक किताब पर आधारित एक काल्पनिक रचना है. निर्माता ने फिल्म की शुरुआत में प्रदर्शित होने वाला अस्वीकरण भी प्रस्तुत किया, जिसमें कहा गया है कि फिल्म एक काल्पनिक रचना है और इसका किसी भी मृत या जीवित व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है. दलीलों को संक्षेप में सुनने के बाद, पीठ ने अस्वीकरण में कुछ छोटे बदलावों का सुझाव दिया, जिसे निर्माता ने स्वीकार कर लिया.

रिपोर्ट के मुताबिक अदालत ने कहा, "हमें नहीं लगता कि याचिकाकर्ता की आशंका सही है. फिल्म काल्पनिक है और इसलिए कोई आशंका नहीं हो सकती कि अंतिम बहस के चरण में चल रही सुनवाई प्रभावित होगी." साथ ही, याचिका खारिज करने से पहले कहा कि "याचिकाकर्ता की पूरी आशंका पूरी तरह से गलत है." अदालत ने पुरोहित से भी सवाल किया और उनसे पूछा कि क्या उन्हें लगता है कि भारत में न्यायाधीश ऐसी फिल्मों से प्रभावित होते हैं. हाईकोर्ट ने कहा, "क्या आप वाकई यह कह रहे हैं कि भारतीय न्यायपालिका का एक न्यायाधीश एक फिल्म देखकर प्रभावित होगा और सबूतों को भूल जाएगा? जब किताब पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है, तो फिल्म पर प्रतिबंध क्यों लगाया जाना चाहिए? इसलिए न्यायाधीश किताब से प्रभावित नहीं होंगे".


पुरोहित की ओर से पेश हुए अधिवक्ता हरीश पंड्या ने अदालत से कम से कम 20 नवंबर को होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद तक फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग की. रिपोर्ट के अनुसार पंड्या ने दावा किया, "फिल्म में भगवा आतंकवाद को पेश किया गया है." हालांकि, अदालत ने सवाल किया कि फिल्म का चुनावों से क्या लेना-देना है. पीठ ने कहा, "कोई संभावना नहीं है. हम केवल चुनावों के कारण फिल्म निर्माताओं को बंधक नहीं बनाने जा रहे हैं. चुनावों का इससे क्या लेना-देना है? किताब तो सालों पहले ही प्रकाशित हो चुकी है." इस बीच, नदीम खान नामक व्यक्ति द्वारा दायर एक अन्य याचिका भी फिल्म के खिलाफ इस आधार पर वापस ले ली गई कि यह मुसलमानों की भावनाओं को ठेस पहुंचाती है.


2008 के मालेगांव विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे, जब 29 सितंबर को मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर दूर उत्तर महाराष्ट्र के इस शहर में एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल पर बंधे विस्फोटक उपकरण में विस्फोट हो गया था. रिपोर्ट के मुताबिक पुरोहित, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पूर्व विधायक प्रज्ञा सिंह ठाकुर और पांच अन्य पर 2008 के मालेगांव विस्फोट की साजिश में कथित संलिप्तता के लिए गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत मुकदमा चल रहा है. इस मामले की शुरुआत में महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने जांच की थी, जिसके बाद 2011 में इसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंप दिया गया था.


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