Updated on: 18 October, 2025 07:35 PM IST | Mumbai
Aishwarya Iyer
मुंबई पुलिस ने साइबर अपराध में बड़ी सफलता हासिल करते हुए 13 राज्यों में सक्रिय डिजिटल गिरफ्तारी रैकेट का भंडाफोड़ किया.
Pics/By Special Arrangement
साइबर अपराध में एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए, शिवड़ी के रफ़ी अहमद किदवई मार्ग (आरएके मार्ग) पुलिस ने एक अंतरराज्यीय गिरोह के छह सदस्यों को गिरफ्तार किया है, जिन पर एक व्यापक `डिजिटल गिरफ्तारी` रैकेट चलाने का आरोप है. ये गिरोह राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) और आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) के अधिकारियों का रूप धारण करके पीड़ितों से बड़ी रकम ट्रांसफर करवाते थे.
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यह मामला 25 से 28 सितंबर के बीच सामने आया. एक पीड़ित द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर जाँच शुरू की गई, जिसे धोखेबाजों से बार-बार व्हाट्सएप वॉयस और वीडियो कॉल आ रहे थे, जिसमें दावा किया जा रहा था कि उसे धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत फंसाया जा रहा है. कॉल करने वालों ने खुद को वरिष्ठ जाँच अधिकारी बताते हुए, व्यक्ति के बैंक खातों को फ्रीज करने की धमकी दी और "सत्यापन के लिए" धनराशि ट्रांसफर करने पर ज़ोर दिया. तुरंत गिरफ्तारी के डर से, शिकायतकर्ता ने तीन दिनों की अवधि में कई खातों में 70 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए.
पीड़ित की शिकायत पर तुरंत कार्रवाई करते हुए, आर.ए.के. मार्ग पुलिस ने तकनीकी जाँच शुरू की, जिसमें लेन-देन और संचार के डिजिटल फ़ुटप्रिंट का पता लगाया गया. पुलिस ने कई खातों और उपकरणों में गतिविधियों पर नज़र रखी, जिसके परिणामस्वरूप 15 बैंक खाते फ्रीज किए गए और 10.5 लाख रुपये बरामद किए गए. आगे के डिजिटल विश्लेषण से पता चला कि आरोपी गुजरात और राजस्थान के ठिकानों से काम कर रहे थे, जिससे तीन समन्वित पुलिस टीमों ने संदिग्धों की अंतर्राज्यीय तलाश शुरू कर दी.
लगातार तकनीकी जाँच और ज़मीनी तलाशी के बाद, जिसके दौरान संदिग्ध बार-बार ठिकाने बदलते रहे, पुलिस ने छह लोगों को गिरफ्तार किया, जिनकी पहचान सुरेश कुमार मगनलाल पटेल, 51; मुसरन इकबालभाई कुंभार, 30; चिराग महेशभाई चौधरी, 29; अंकित कुमार महेशभाई शाह, 40; वासुदेव उर्फ विवान वालजीभाई बारोट, 27; और युवराज उर्फ मार्को लक्ष्मण सिंह सिकरवार, 34 के रूप में हुई. पुलिस ने बताया कि आरोपी पिछले दो-तीन सालों से साइबर धोखाधड़ी में सक्रिय थे; मुख्य संदिग्ध, जिसकी पहचान युवराज उर्फ मार्को के रूप में हुई है, इस ऑपरेशन तक पकड़ से दूर रहा था.
पुलिस के अनुसार, यह गिरोह ऑनलाइन घोटालों को बढ़ावा देने वाले लॉजिस्टिक ढांचे - सिम कार्ड, चालू खाते और अस्थायी मोबाइल नंबर - की खरीद और आपूर्ति में माहिर है और इन्हें छह महीने से लेकर एक साल तक की अवधि के लिए अन्य धोखेबाजों को किराए पर देता है. पुलिस ने कहा कि यह आपूर्ति श्रृंखला घोटालेबाजों को जल्दी से विश्वसनीय पहचान बनाने और खातों के जाल के माध्यम से उगाही गई धनराशि को सफेद करने में सक्षम बनाती है.
जांच में संबंधित शिकायतों का एक विस्तृत जाल भी सामने आया है. अब तक इस समूह से जुड़ी 31 साइबर शिकायतें महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, झारखंड, तेलंगाना, गुजरात, दिल्ली, हरियाणा, केरल और पश्चिम बंगाल सहित कम से कम 13 राज्यों में दर्ज की गई हैं. इसी तरह की एक और घटना तब सामने आई जब पनवेल निवासी 68 वर्षीय एक व्यक्ति को 25 सितंबर को इसी तरह के व्हाट्सएप वीडियो कॉल आए और उन्हें 6 अक्टूबर तक "डिजिटल गिरफ्तारी" में रखा गया, जब पुलिस के निर्देश पर उनके रिश्तेदारों ने हस्तक्षेप किया और 40 लाख रुपये के हस्तांतरण को रोक दिया.
मुंबई के शिकायतकर्ता से वसूले गए 70 लाख रुपये को मिलाकर, पुलिस का अनुमान है कि इस रैकेट से जुड़ी कुल राशि 1.1 करोड़ रुपये से ज़्यादा है, साथ ही यह भी चेतावनी दी गई है कि 31 शिकायतों की जाँच पूरी होने पर अंतिम आँकड़ा बढ़ सकता है. ये गिरफ्तारियाँ डीसीपी (ज़ोन IV) रागसुधा की निगरानी में की गईं. एसीपी सचिन कदम, वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक विनोद तावड़े, पुलिस निरीक्षक संदीप ऐदले, अपराध जाँच अधिकारी गोविंद खैरे और महेश मोहिते, तथा साइबर अधिकारी योगेश खरात ने एटीसी टीम की सहायता से जमीनी स्तर पर काम किया. पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के प्रावधानों के तहत कई मामले दर्ज किए हैं और कहा है कि जाँच बढ़ने पर और गिरफ्तारियाँ भी हो सकती हैं.
पुलिस ने जारी की सलाह
पुलिस ने नागरिकों को पैसे मांगने या तुरंत गिरफ़्तारी का वादा करने वाले अनचाहे कॉल्स के प्रति सतर्क रहने की चेतावनी दी है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "कोई भी जाँच एजेंसी `सत्यापन` के लिए फ़ोन या व्हाट्सएप पर कभी भी पैसे नहीं मांगेगी." पुलिस ने नागरिकों से आग्रह किया है कि वे किसी भी प्रकार की कार्रवाई करने से पहले अपने स्थानीय पुलिस स्टेशन से इस प्रकार के किसी भी संचार की पुष्टि करें तथा संदिग्ध कॉल की तुरंत रिपोर्ट करें.
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