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ट्रैफिक जाम और गड्ढों से त्रस्त नागरिकों ने प्रधानमंत्री को लिखे सैकड़ों पत्र, मांगी आत्महत्या की इजाज़त

Updated on: 18 October, 2025 10:24 AM IST | Mumbai
Ujwala Dharpawar | ujwala.dharpawar@mid-day.com

मुंबई-अहमदाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-48) पर वसई-नायगांव-चिंचोटी मार्ग की बदहाल सड़कों, गड्ढों और लगातार ट्रैफिक जाम से परेशान ससूनवघर गांव के नागरिकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सैकड़ों पत्र भेजकर “आत्महत्या की अनुमति” मांगी है.

महिलाओं ने कहा कि रोज़मर्रा की ज़िंदगी दूभर हो चुकी है. “हम बच्चों को स्कूल भेजते समय डरते हैं, क्योंकि बसें और ऑटो जाम में फँसे रहते हैं. गर्भवती महिलाएँ समय पर अस्पताल नहीं पहुँच पातीं,” एक महिला ने कहा.

महिलाओं ने कहा कि रोज़मर्रा की ज़िंदगी दूभर हो चुकी है. “हम बच्चों को स्कूल भेजते समय डरते हैं, क्योंकि बसें और ऑटो जाम में फँसे रहते हैं. गर्भवती महिलाएँ समय पर अस्पताल नहीं पहुँच पातीं,” एक महिला ने कहा.

मुंबई-अहमदाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-48) पर वसई-नायगांव-चिंचोटी मार्ग की बदहाल स्थिति ने नागरिकों का सब्र तोड़ दिया है. लगातार गड्ढों, पानीभराव और ट्रैफिक जाम से जूझ रहे ससूनवघर गांव के ग्रामीणों ने शनिवार को अनोखे तरीके से अपना विरोध दर्ज कराया. ग्रामीणों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिल्ली डाक के ज़रिए “आत्महत्या की अनुमति” मांगते हुए सैकड़ों पत्र भेजे.

स्थानीय निवासियों का कहना है कि वे पिछले कई महीनों से इस समस्या को लेकर राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI), पालघर जिला प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन किसी ने उनकी सुध नहीं ली. नतीजतन अब लोगों का सब्र जवाब दे चुका है.


गांव के सैकड़ों लोग, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल थीं, सुबह ससूनवघर डाकघर के बाहर एकत्र हुए. सभी ने अपने-अपने नाम से अलग-अलग पत्र लिखे और दिल्ली भेजे. ग्रामीणों ने अपने पत्रों में लिखा, “हम जिंदा तो हैं, लेकिन जी नहीं पा रहे. हर दिन का सफर हमारे लिए सज़ा बन गया है. स्कूल के बच्चे, मरीज़ और गर्भवती महिलाएँ घंटों जाम में फँसी रहती हैं. अगर सरकार हमारी तकलीफ़ नहीं समझ सकती, तो हमें आत्महत्या करने की अनुमति दे.”



 


 

ग्रामीणों ने बताया कि NH-48 पर वसई से चिंचोटी तक सड़क पर जगह-जगह गहरे गड्ढे बने हैं. बरसात के बाद सड़क की हालत और भी खराब हो गई है. भारी वाहनों के कारण जाम लगना आम बात हो गई है. स्थानीय निवासी बताते हैं कि कई बार एम्बुलेंस और फायर ब्रिगेड की गाड़ियाँ भी ट्रैफिक में फँस जाती हैं, जिससे जान का खतरा बढ़ जाता है.

महिलाओं ने कहा कि रोज़मर्रा की ज़िंदगी दूभर हो चुकी है. “हम बच्चों को स्कूल भेजते समय डरते हैं, क्योंकि बसें और ऑटो जाम में फँसे रहते हैं. गर्भवती महिलाएँ समय पर अस्पताल नहीं पहुँच पातीं,” एक महिला ने कहा.

इस विरोध प्रदर्शन की सूचना पहले ही नायगांव (पूर्व) पुलिस थाने को दे दी गई थी. पुलिस ने मौके पर पहुंचकर क़ानून-व्यवस्था बनाए रखी और ग्रामीणों से शांति बनाए रखने की अपील की.

ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए, तो वे इस आंदोलन को और व्यापक रूप देंगे और ज़रूरत पड़ी तो राष्ट्रीय स्तर पर आवाज़ उठाएँगे.

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