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वसई-विरार में ईडी का बड़ा एक्शन, पूर्व नगर आयुक्त अनिल कुमार पवार के बंगले पर छापा

Updated on: 29 July, 2025 10:10 AM IST | Mumbai
Diwakar Sharma | diwakar.sharma@mid-day.com

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने वसई-विरार नगर निगम के पूर्व आयुक्त अनिल कुमार पवार के खिलाफ अवैध निर्माण से जुड़े मामले में मंगलवार को छापेमारी की.

Pic/ Hanif Patel

Pic/ Hanif Patel

प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने मंगलवार सुबह वसई स्थित वसई विरार नगर निगम (वीवीसीएमसी) के पूर्व आयुक्त अनिल कुमार पवार के सरकारी बंगले पर छापा मारा. यह छापा वसई-विरार क्षेत्र में बनी अवैध इमारतों के संबंध में मारा जा रहा है. पवार के नेतृत्व वाला नगर निगम बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में लिप्त है. पवार के तबादले के ठीक एक दिन बाद यह छापेमारी की जा रही है.

केंद्रीय एजेंसी के सूत्रों ने छापों की पुष्टि की और बताया कि ईडी के अधिकारी पवार से जुड़े 12 अलग-अलग ठिकानों पर छापेमारी कर रहे हैं.


मई में, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत मुंबई और हैदराबाद में 13 अलग-अलग ठिकानों पर तलाशी अभियान चलाया था. तलाशी अभियान में लगभग 9.04 करोड़ रुपये नकद और 1.5 करोड़ रुपये जब्त किए गए थे. 23.25 करोड़ रुपये मूल्य के हीरे जड़ित आभूषण और सर्राफा तथा बड़ी संख्या में आपत्तिजनक दस्तावेज़ बरामद किए गए.


ईडी ने मीरा भयंदर पुलिस कमिश्नरेट द्वारा बिल्डरों, स्थानीय गुर्गों और अन्य के खिलाफ दर्ज कई एफआईआर के आधार पर जाँच शुरू की. यह मामला 2009 से "वीवीसीएमसी" के अधिकार क्षेत्र में "सरकारी और निजी भूमि पर आवासीय सह-व्यावसायिक भवनों के अवैध निर्माण" से संबंधित है.

वसई विरार शहर की स्वीकृत विकास योजना के अनुसार, "सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट" और "डंपिंग ग्राउंड" के लिए आरक्षित भूमि पर पिछले कुछ समय में 41 अवैध इमारतों का निर्माण किया गया. आरोपी बिल्डरों और डेवलपर्स ने ऐसी भूमि पर अवैध इमारतों का निर्माण करके और बाद में जाली अनुमोदन दस्तावेज़ों के ज़रिए उन्हें (आम जनता को) बेचकर आम जनता को धोखा दिया है. यह जानते हुए भी कि ये इमारतें अनधिकृत हैं और अंततः ध्वस्त कर दी जाएँगी, डेवलपर्स ने इन इमारतों में कमरे बेचकर लोगों को गुमराह किया और इस तरह गंभीर धोखाधड़ी की.


बॉम्बे उच्च न्यायालय ने 8 जुलाई, 2024 के अपने आदेश में सभी 41 इमारतों को ध्वस्त करने का आदेश दिया. इसके बाद, 41 अवैध इमारतों में रहने वाले परिवारों द्वारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय में एक विशेष अनुमति याचिका दायर की गई, जिसे खारिज कर दिया गया. सभी 41 इमारतों को ध्वस्त करने का काम वीवीसीएमसी द्वारा 20 फरवरी, 2025 को पूरा किया गया.

ईडी की जाँच से पता चला है कि इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण 2009 से चल रहा है. यह पाया गया है कि वसई विरार नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हुए इस घोटाले के मुख्य अपराधी सीताराम गुप्ता, अरुण गुप्ता और अन्य हैं. इसके अलावा, जाँच के दौरान, यह पाया गया है कि इन अनधिकृत/अवैध इमारतों का निर्माण विभिन्न वीवीएमसी अधिकारियों की मिलीभगत से किया गया था. वीवीएमसी के नगर नियोजन उप निदेशक वाई एस रेड्डी के परिसरों में तलाशी अभियान के दौरान 8.6 करोड़ रुपये नकद और 23.25 करोड़ रुपये मूल्य के हीरे जड़ित आभूषण और सोना जब्त किया गया. इसके अलावा, विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए गए हैं, जो वसई विरार क्षेत्र में वीवीएमसी के अधिकारियों की मिलीभगत से हुए बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण घोटाले पर प्रकाश डालते हैं.

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