प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि किसानों की पूरी कर्ज माफी की जाए और उनके लिए साफ और सही "सतबारा" (सात/बारहवां अंश) भूमि रिकॉर्ड जारी किए जाएं. (PIC/ HANIF PATEL)
किसानों और मछुआरों का कहना था कि राज्य सरकार ने कर्ज माफी के वादे को पूरा नहीं किया है, और इसके चलते उन्हें बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
उनका आरोप था कि सरकार द्वारा शुरू की गई कर्ज माफी योजना केवल कागजों तक सीमित रही है और वास्तव में इसका लाभ किसानों तक नहीं पहुंच पाया है.
इसके साथ ही, भूमि रिकॉर्ड में अनियमितताओं के कारण किसानों को अपनी जमीन पर मालिकाना हक साबित करने में भी मुश्किलें आ रही हैं.
प्रदर्शनकारियों ने राज्य सरकार से अपील की कि वह उनकी समस्याओं का समाधान करें और कर्ज माफी योजना को प्रभावी ढंग से लागू करें.
उनके अनुसार, अगर सरकार जल्द ही उनकी मांगों को नहीं मानती, तो वे और बड़े आंदोलन करने के लिए तैयार हैं.
इस विरोध में किसानों और मछुआरों के अलावा कई अन्य समाजिक संगठन भी शामिल हुए थे, जो इस मुद्दे को लेकर जागरूकता फैलाना चाहते थे.
विरोध के कारण वसई हाईवे पर यातायात एक घंटे से अधिक समय तक बाधित रहा. वाहनों की लंबी कतारें लग गईं, जिससे यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा.
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया, लेकिन तब तक राजमार्ग पर स्थिति पूरी तरह से बिगड़ चुकी थी.
प्रदर्शन के बाद प्रहार जनशक्ति पार्टी ने राज्य सरकार से त्वरित कार्रवाई की उम्मीद जताई है.
उन्होंने कहा कि यदि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती, तो वे भविष्य में और भी बड़े आंदोलन करेंगे.
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इन समस्याओं को हल करने के लिए क्या कदम उठाती है और किसानों और मछुआरों के हित में क्या निर्णय लिया जाता है.
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