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मुंबई में बोले विदेश मंत्री एस. जयशंकर- `भारत कभी दूसरों को अपने फैसलों पर वीटो की इजाजत नहीं दे सकता`

Updated on: 22 December, 2024 02:38 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

हालांकि, उन्होंने बताया कि ऐसे सबक तभी दिए जा सकते हैं जब भारतीय अपनी सांस्कृतिक परंपराओं पर गर्व करें.

फ़ाइल चित्र

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विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि भारत किसी बाहरी ताकत को अपने फैसले तय करने की इजाजत नहीं देगा. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने जोर देकर कहा कि देश अपने हितों के अनुसार और दुनिया की भलाई के लिए काम करेगा, बिना किसी दबाव के. जबकि दुनिया अस्वस्थ आदतों, तनावपूर्ण जीवनशैली और बार-बार होने वाली जलवायु घटनाओं जैसी चुनौतियों का सामना कर रही है, जयशंकर का मानना है कि वैश्विक समुदाय भारत की समृद्ध विरासत से बहुत कुछ सीख सकता है. हालांकि, उन्होंने बताया कि ऐसे सबक तभी दिए जा सकते हैं जब भारतीय अपनी सांस्कृतिक परंपराओं पर गर्व करें. 

रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा, "वैश्वीकरण के युग में, प्रौद्योगिकी और परंपरा को एक साथ चलना चाहिए," उन्होंने आधुनिकता को सांस्कृतिक संरक्षण के साथ संतुलित करने के महत्व को रेखांकित किया. जयशंकर ने यह भी दोहराया कि भारत की भविष्य की प्रगति कभी भी उसकी पहचान की कीमत पर नहीं होनी चाहिए. उन्होंने वैश्विक मंच पर भारत के स्थान के लिए भारत के दृष्टिकोण पर विचार करते हुए कहा, "भारत अवश्य ही प्रगति करेगा, लेकिन उसे अपनी भारतीयता खोए बिना ऐसा करना होगा. तभी हम बहुध्रुवीय दुनिया में वास्तव में एक अग्रणी शक्ति के रूप में उभर सकते हैं." 


वे 27वें SIES श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती राष्ट्रीय प्रतिष्ठा पुरस्कार प्राप्त करने के अवसर पर बोल रहे थे, जो सार्वजनिक नेतृत्व, सामुदायिक नेतृत्व, मानव प्रयास, विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा सामाजिक नेतृत्व जैसे क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान को मान्यता देता है, जिसमें मुख्य रूप से अध्यात्मवाद पर ध्यान दिया जाता है. हालांकि जयशंकर व्यक्तिगत रूप से इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए, लेकिन उन्होंने वीडियो के माध्यम से अपना संदेश भेजा. विदेश मंत्री ने स्वतंत्रता और तटस्थता के बीच अंतर करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा, "स्वतंत्रता को कभी भी तटस्थता के साथ भ्रमित नहीं किया जाना चाहिए. हम अपने राष्ट्रीय हित और वैश्विक भलाई के लिए जो भी सही होगा, वह करेंगे, बिना किसी डर के." 


उन्होंने कहा कि भारत को कभी भी दूसरों को अपने विकल्पों पर वीटो लगाने की अनुमति नहीं देनी चाहिए. जयशंकर ने यह भी उल्लेख किया कि कैसे भारत को अतीत में यह विश्वास दिलाया गया है कि प्रगति और आधुनिकता के लिए अपनी विरासत और परंपराओं को अस्वीकार करना आवश्यक है. यह विश्वास आयातित मॉडलों के प्रति वरीयता या स्वदेशी प्रथाओं के प्रति असहजता से उपजा हो सकता है. हालांकि, जैसे-जैसे भारत में लोकतंत्र गहराता जा रहा है, राष्ट्र अपने प्रामाणिक स्व और अपनी सांस्कृतिक जड़ों को फिर से खोज रहा है, उन्होंने कहा. मंत्री ने सभ्यता राज्य के रूप में अपनी स्थिति के कारण भारत को एक असाधारण राष्ट्र बताया. उन्होंने कहा, "ऐसा देश तभी प्रभाव डालेगा जब वह वैश्विक क्षेत्र में अपनी सांस्कृतिक शक्तियों का पूरा लाभ उठाएगा," उन्होंने युवा पीढ़ी को अपनी विरासत को पहचानने और उसका महत्व समझने की आवश्यकता पर जोर दिया.


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