Updated on: 05 December, 2023 03:01 PM IST | mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
नागरिक परियोजनाओं से प्रभावित लोगों (पीएपी) के लिए मकानों की मांग पिछले चार सालों में बढ़ कर दोगुनी हो गई है. नागरिक निकाय के 2019 के अनुमान के अनुसार नागरिक परियोजनाओं से अलग लगभग 35,000 परिवारों को घर की जरूरत है.
माहुल में पीएपी कॉलोनी एक ऐसी जगह है जहां परियोजनाओं से प्रभावित परिवारों का पुनर्वास किया गया था. तस्वीर/सैय्यद समीर आबेदी
नागरिक परियोजनाओं से प्रभावित लोगों (पीएपी) के लिए मकानों की मांग पिछले चार सालों में बढ़ कर दोगुनी हो गई है. नागरिक निकाय के 2019 के अनुमान के अनुसार नागरिक परियोजनाओं से अलग लगभग 35,000 परिवारों को घर की जरूरत है. इस साल ऐसे परिवारों की संख्या बढ़कर 74,752 हो गई है. बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के पास केवल कुछ हजार घर ही उपलब्ध हैं.
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इस वृद्धि का श्रेय नई परियोजनाओं और 2000 के बाद अस्तित्व में आई संरचनाओं के पुनर्वास को 2011 तक बढ़ाने के राज्य सरकार के फैसले को दिया जाता है. संयुक्त नगर आयुक्त रमेश पवार ने मिड-डे को बताया, “बीएमसी की योजनाबद्ध नागरिक परियोजनाओं के कारण अनुमानित परिवारों की संख्या में वृद्धि हुई है. लोगों को विस्थापित करने वाली परियोजनाओं में पूर्वी उपनगरों में लाल बहादुर शास्त्री (एलबीएस) रोड का चौड़ीकरण शामिल है. गोरेगांव मुलुंड लिंक रोड (जीएमएलआर) जैसी विकास परियोजनाएं भी हैं.
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि मीठी नदी के चौड़ीकरण, मुख्य जल पाइपलाइन के किनारे मौजूद अतिक्रमण को हटाना और प्रस्तावित वर्सोवा दहिसर लिंक रोड जैसी परियोजनाएं कई घरों को प्रभावित करेंगी.
साल 2000 से 2011 तक राज्य सरकार का निर्णय पुनर्वास योजना के संबंध में था. पुनर्वास चाहने वाले ऐसे घरों के निवासियों को न्यूनतम 2.5 लाख रुपये का भुगतान करना होगा. 2000 से पहले निर्मित संरचनाओं का पुनर्वास निशुल्क मिलता है.
नागरिक अधिकारियों ने कहा,“इस निर्णय के आधार पर बीएमसी ने भी 2011 तक बनी संरचनाओं में रहने वाले पीएपी का पुनर्वास करने का निर्णय लिया है. 2.5 लाख रुपये के अलावा, बीएमसी ने पुनर्वास को केवल महत्वपूर्ण, प्रमुख नागरिक परियोजनाओं तक ही सीमित कर दिया."
अकेले इस विस्तार से मकानों की अनुमानित मांग 15,000-16,000 तक बढ़ गई. पुनर्वास की आवश्यकता वाले पीएपी की संख्या बढ़ने के बावजूद अधिकारी ने कहा, “बीएमसी को एसआरए और शिवशाही पुनर्वास परियोजना जैसे विभिन्न प्राधिकरणों से केवल 2,113 मकान प्राप्त हुए हैं. बीएमसी द्वारा निर्मित टेनेमेंट केवल 3,019 तक आते हैं. अदालत के स्थगन आदेश के कारण पीएपी के लिए लगभग 11,000 घर भी खाली पड़े हैं. दूसरी ओर कई परिवार अपने मूल निवास के क्षेत्रों को छोड़ने के लिए अनिच्छुक हैं.”
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