उन्होंने मंच से सभी गोविंदा टीमों का मनोबल बढ़ाते हुए कहा कि दही हांडी सिर्फ एक प्रतियोगिता नहीं है, बल्कि यह हमारे सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन का अभिन्न हिस्सा है.
आदित्य ठाकरे के साथ ही विधायक वरुण सरदेसाई, विधायक सचिन अहीर, और अन्य पदाधिकारी भी इस पारंपरिक उत्सव में शामिल हुए.
दही हांडी के दौरान युवाओं द्वारा दिखाए गए एकजुटता, साहस और अनुशासन ने उपस्थित जनसमूह का दिल जीत लिया. भगवान कृष्ण के जयकारों के बीच गोविंदा पथक ने जब पिरामिड बनाकर ऊंची हांडी फोड़ी, तो पूरा माहौल तालियों और जयघोष से गूंज उठा.
यह नजारा न केवल खेल भावना का प्रतीक था, बल्कि सामाजिक एकता और भाईचारे का भी अद्भुत संदेश देता नजर आया.
स्थानीय नागरिकों, विभिन्न गोविंदा पथकों और सामाजिक संगठनों की सक्रिय भागीदारी ने उत्सव को और भी खास बना दिया. छोटे-बड़े, सभी वर्गों के लोग इसमें शामिल होकर सामूहिक शक्ति और सहयोग की मिसाल बने.
आयोजकों ने व्यवस्था और सुरक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया, ताकि भीड़भाड़ में किसी तरह की अव्यवस्था न हो.
‘बांद्रा की मनाची हांडी’ अब सिर्फ दही हांडी फोड़ने की परंपरा नहीं रह गई है, बल्कि यह मिलनसारिता, परंपरा के संरक्षण और समाज में भाईचारे को मजबूत करने का प्रतीक बन चुकी है.
हर वर्ष की तरह इस बार भी यह उत्सव सभी के लिए अविस्मरणीय अनुभव बन गया.
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