`आरे बचाओ, मुंबई बचाओ` और `हरित फेफड़ों को मत काटो` जैसे नारों की गूंज मुंबई के गोरेगांव (पूर्व) स्थित आरे कॉलोनी में सुनाई दी. (Photos - Satej Shinde)
आरे कॉलोनी, जिसे मुंबई का हरित फेफड़ा भी कहा जाता है, लगभग 1,800 एकड़ में फैला हुआ एक विशाल हरित क्षेत्र है. यहां पर मेट्रो कारशेड बनाने के प्रस्ताव के खिलाफ पिछले कई वर्षों से स्थानीय निवासी, पर्यावरण प्रेमी और समाजसेवी संघर्ष कर रहे हैं.
आंदोलनकारियों का मानना है कि इस क्षेत्र में निर्माण कार्य करने से न केवल यहां के वन्यजीव और पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा, बल्कि मुंबई की जलवायु और हरी-भरी संपदा भी बुरी तरह प्रभावित होगी.
रविवार को आंदोलन के 100वें सप्ताह को चिह्नित करने के लिए, सैकड़ों समर्थक आरे कॉलोनी में एकत्रित हुए. उन्होंने अपने हाथों में `Save Aarey` के पोस्टर और बैनर लिए हुए थे और जोर-जोर से नारे लगा रहे थे.
आंदोलनकारियों ने बताया कि यह आंदोलन केवल आरे वन के संरक्षण के लिए नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक संदेश भी है कि हमें अपने पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करनी चाहिए.
उन्होंने यह भी कहा कि यह संघर्ष केवल उनके अपने भविष्य के लिए नहीं है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी है.
उन्होंने सरकार से अपील की कि वह इस क्षेत्र को संरक्षित करने के लिए उचित कदम उठाए और मेट्रो कारशेड के लिए किसी अन्य स्थान का चयन करें.
आंदोलनकारी संकल्पित हैं कि वे इस संघर्ष को जारी रखेंगे और आरे वन को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे.
उन्होंने यह भी कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वे अपने संघर्ष को और अधिक व्यापक रूप देंगे और देशभर में इसके लिए जन समर्थन जुटाएंगे.
आरे वन बचाओ आंदोलन का यह 100वां रविवार केवल एक प्रतीकात्मक दिन नहीं था, बल्कि यह इस बात का साक्षी था कि जब लोग अपने पर्यावरण और अपने भविष्य की रक्षा के लिए एकजुट होते हैं, तो वे किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार होते हैं. इस आंदोलन ने यह भी दिखाया कि पर्यावरण संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयास कितना महत्वपूर्ण है.
ADVERTISEMENT