आज़ाद मैदान के आसपास पिछले कुछ दिनों से पुलिस बंदोबस्त, टेंट और भीड़भाड़ का माहौल था. (Pic/Shadab Khan)
सुबह से ही आंदोलन स्थल पर सफाई और समेटने का काम तेज़ी से शुरू हो गया. टेंट हटाए गए, बैरिकेड्स खोल दिए गए और सड़कें वाहनों की आवाजाही के लिए खाली कर दी गईं.
तस्वीरों में साफ दिखाई दे रहा है कि जहां कल तक भीड़ और बैनरों का सैलाब था, वहीं अब सन्नाटा और सड़कों की साफ-सफाई नजर आ रही है.
मराठा आरक्षण की मांग को लेकर जुटी भीड़ अब अपने-अपने घर लौट गई है. शहर के लोग भी राहत महसूस कर रहे हैं क्योंकि यातायात पर इसका बड़ा असर पड़ा था.
कई रूट डायवर्ट किए गए थे और यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा था. आंदोलन खत्म होते ही रेलवे स्टेशन और बस अड्डों के आसपास भीड़ कम हो गई है और आम जनजीवन पटरी पर लौट आया है.
मुंबई पुलिस और बीएमसी ने मिलकर आंदोलन स्थल को जल्दी खाली कराने और सफाई सुनिश्चित करने का काम किया.
बीएमसी कर्मचारियों ने देर रात और सुबह से मैदान और सड़कों की धुलाई करवाई ताकि जगह पहले जैसी दिखे.
शहर की रफ्तार के लिए मशहूर मुंबई ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि चाहे आंदोलन हो या कोई बड़ी घटना, यहाँ हालात सामान्य होने में देर नहीं लगती.
आंदोलन खत्म होते ही ऑफिस जाने वाले कर्मचारी, छात्र और वाहन चालकों को राहत मिली है.
अब जब मराठा आरक्षण का मुद्दा राजनीतिक और कानूनी स्तर पर आगे बढ़ेगा, मुंबई फिलहाल चैन की सांस ले रही है. खाली सड़कें और सामान्य होते हालात इस बात का संकेत हैं कि शहर कितनी तेजी से बदलती परिस्थितियों के साथ आगे बढ़ जाता है.
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