मकर संक्रांति धार्मिक और मौसमी दोनों महत्व रखता है, जो सूर्य के एक राशि चक्र से दूसरे नक्षत्र में संक्रमण को दर्शाता है, विशेष रूप से शुभ `पौष संक्रांति` पर जोर देता है.
मकर संक्रांति त्योहार किसी धार्मिक तक ही सीमित नहीं है, यह सर्दियों के अंत का भी प्रतीक है. सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हुए दक्षिणी से उत्तरी गोलार्ध की ओर अपनी यात्रा शुरू करता है.
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, यह दिन राक्षसों पर भगवान विष्णु की विजय से जुड़ा है, जो नकारात्मकता पर धार्मिकता की जीत का प्रतीक है.
मकर संक्रांति को आध्यात्मिक अभ्यास या ध्यान के लिए एक अनुकूल समय बनाता है, जो `चैतन्य` नामक ब्रह्मांडीय बुद्धिमत्ता से घिरा हुआ है.
इसके कृषि महत्व के अलावा, त्योहार में सूर्य भगवान को समर्पित विशेष प्रार्थनाएं शामिल होती हैं, कृतज्ञता व्यक्त की जाती है और समृद्ध फसल और सूर्य के सकारात्मक संक्रमण के लिए आशीर्वाद मांगा जाता है.
प्राचीन धर्मग्रंथों में सुबह की रस्म पर जोर दिया गया है, जिसमें सूर्योदय से पहले उठने, तिल के साथ स्नान करने और सूर्य को प्रार्थना करने, गायत्री मंत्र का जाप और अर्घ्य देने, सूर्य को जल चढ़ाने का सुझाव दिया गया है.
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