शाम करीब 7:30 बजे हुई इस घटना की सूचना सबसे पहले मुंबई अग्निशमन विभाग को दी गई. तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू किया गया. Pics/Kirti Surve Parade (Story/Rajendra B. Aklekar)
क्रेन की मदद से दमकलकर्मियों ने ट्रेन में फंसे यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला. रात 8:45 बजे तक अभियान पूरा कर लिया गया.
अधिकारियों के अनुसार, मोनोरेल से कुल 582 यात्रियों को बचाया गया.
बीएमसी आपदा नियंत्रण कक्ष ने बताया कि मौके पर मौजूद 108 एम्बुलेंस की मेडिकल टीम ने छह यात्रियों का प्राथमिक उपचार किया, जिन्हें अस्पताल ले जाने की आवश्यकता नहीं पड़ी.
हादसे के बाद अफरा-तफरी का माहौल रहा. रुकी हुई मोनोरेल को खींचने के लिए दूसरी ट्रेन मंगाई गई, लेकिन तकनीकी गड़बड़ी के चलते वह भी बीच में फंस गई.
इससे समस्या और गंभीर हो गई. हालांकि वडाला और चेंबूर के बीच सिंगल लाइन पर सेवाएँ बाद में सामान्य कर दी गईं.
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा– “तकनीकी कारणों से चेंबूर और भक्ति पार्क के बीच एक मोनोरेल फंसी.
एमएमआरडीए, दमकल विभाग और नगर निगम की टीमें मौके पर पहुँच गई हैं. सभी यात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया जाएगा. मैं एमएमआरडीए आयुक्त, नगर आयुक्त, पुलिस और अन्य एजेंसियों के संपर्क में हूँ. घटना की पूरी जाँच की जाएगी.”
एमएमआरडीए, जो मोनोरेल का संचालन करता है, ने कहा कि वह इस रुकावट के कारणों की जाँच कर रहा है और यात्रियों की सुरक्षा को लेकर आश्वस्त है. लेकिन लगातार गड़बड़ियों और हादसों के चलते मोनोरेल परियोजना पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
बार-बार तकनीकी खराबी, क्षमता से अधिक भार और प्रशासनिक लापरवाही ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि मुंबई की मोनोरेल सुविधा अब भी भरोसेमंद नहीं बन पाई है.
582 यात्रियों की जान तो बच गई, लेकिन यह घटना सरकार और एजेंसियों की तैयारी पर बड़ा सवाल छोड़ गई है.
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