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आदित्य ठाकरे ने मंत्री के विवादित बयान को बताया अपमानजनक, महिला सुरक्षा पर जताई चिंता

Updated on: 27 October, 2025 12:46 PM IST | Mumbai

इंदौर में दो ऑस्ट्रेलियाई महिला क्रिकेटरों के साथ हुई छेड़छाड़ के बाद विवाद बढ़ गया है. घटना के आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन मध्य प्रदेश के एक मंत्री द्वारा दिया गया “अधिक सावधान रहने का सबक” वाला बयान देशभर में आलोचना का केंद्र बन गया.

X/Pics, Aaditya Thackeray

X/Pics, Aaditya Thackeray

इंदौर में दो ऑस्ट्रेलियाई महिला क्रिकेटरों के साथ छेड़छाड़ की घटना ने पूरे देश को शर्मसार कर दिया है. अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के साथ ऐसा व्यवहार न केवल भारत की छवि को धूमिल करने वाला है, बल्कि महिलाओं की सुरक्षा पर भी गहरे सवाल खड़े करता है. इस घटना के बाद आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन इसके बाद इस घटना को लेकर कई बयान सामने आ रहे है. 

रिपोर्ट्स के अनुसार, मध्य प्रदेश के एक मंत्री ने पीड़ित खिलाड़ियों को बुलाकर कहा कि यह `अधिक सावधान रहने का सबक` है. यानी पीड़िताओं को ही अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार ठहराने की कोशिश की गई. यह बयान सामने आने के बाद अब नया बवाल शुरू हो गया है. 


इस पूरे मामले पर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता आदित्य ठाकरे ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने X (ट्विटर) पर @AusWomenCricket को टैग करते हुए खूब खरीखोटी सुनाई है. ठाकरे ने लिखा –



“घटना जितनी शर्मसार करने वाली है @AusWomenCricket सदस्यों का कहना है कि मध्य प्रदेश के मंत्री ने उन्हें बुलाया और कहा कि यह "अधिक सावधान" रहने का एक सबक है, जिससे यह और भी बदतर हो गया है. कितनी शर्म की बात है! जाहिर तौर पर सरकार उस पर कार्रवाई नहीं करेगी, लेकिन ऐसे समय में जब हम ओलंपिक, राष्ट्रमंडल खेलों के लिए बोली लगाते हैं और निवेशकों को भी भारत में आमंत्रित करते हैं, सरकार में ऐसी दयनीय मानसिकता होना शर्मनाक है. क्या किसी महिला का, चाहे वह क्रिकेट टीम से हो या नहीं, हमारे शहरों की सड़कों पर चलना अपराध है? महिलाओं के साथ आए दिन होने वाली ऐसी कई घटनाओं पर कड़ी कार्रवाई करने के बजाय मंत्री द्वारा इस तरह की बेतुकी बातें कहना अपमानजनक है.”

 


 

ठाकरे का यह बयान देश की उस मानसिकता पर सीधा प्रहार है जो पीड़ित को समझाने और अपराधी को बचाने की आदत में बदल चुकी है. जब अंतरराष्ट्रीय महिला खिलाड़ी तक असुरक्षित महसूस करें, तो आम महिलाओं की सुरक्षा की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है.

भारत अगर वास्तव में वैश्विक खेल आयोजनों की मेजबानी करना चाहता है, तो उसे पहले अपने समाज और प्रशासन की सोच को सुधारना होगा — क्योंकि शर्म सिर्फ बयान से नहीं, ठोस कार्रवाई से मिटती है.

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