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आदित्य ठाकरे ने CM फडणवीस को लिखा पत्र, लोकमान्य नगर पुनर्विकास पर सरकार की भूमिका पर उठाए सवाल

Updated on: 30 October, 2025 03:26 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

आदित्य ठाकरे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखकर पुणे के लोकमान्य नगर पुनर्विकास प्रकल्प और ऑप्टिक फाइबर ठेके पर तत्काल कार्रवाई की मांग की है.

X/Pics, Aaditya Thackeray

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पुणे में लोकमान्य नगर पुनर्विकास परियोजना और ऑप्टिक फाइबर ठेके को लेकर महाराष्ट्र की सियासत में बवाल मचा हुआ है. शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के युवा नेता और विधायक आदित्य ठाकरे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि महाराष्ट्र में “जनता की नहीं, बिल्डर-ठेकेदारों की सरकार” चल रही है.

आदित्य ठाकरे ने मुख्यमंत्री को लिखे अपने विस्तृत पत्र में कहा कि पुणे के लोकमान्य नगर के हजारों निवासियों ने अपने बलबूते पर स्व-पुनर्विकास (Self-Redevelopment) की योजना तैयार की थी. उन्होंने अपनी पसंद के बिल्डरों का चयन कर आवश्यक मंजूरी भी हासिल कर ली थी. लेकिन अचानक स्थानीय विधायक के एक पत्र के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय ने 15 मई 2025 को इस परियोजना को स्थगित करने का आदेश जारी कर दिया. ठाकरे ने सवाल किया — ‘क्या मुख्यमंत्री कार्यालय अब नागरिकों के हित में काम कर रहा है या सत्ताधारी दल से जुड़े बिल्डरों के हित में?’


उन्होंने कहा, ‘पुणेकरों ने जो रास्ता चुना था, वह पारदर्शिता और आत्मनिर्भरता का प्रतीक था. लेकिन सरकार ने कुछ बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए इस पूरे प्रक्रिया पर विराम लगा दिया. यह फैसला नागरिकों के विश्वास पर सीधा प्रहार है.’



ठाकरे ने आगे आरोप लगाया कि पुणे में यह पहला मौका नहीं है जब सत्ता से जुड़े प्रभावशाली लोगों के करीबी बिल्डरों को प्राथमिकता दी गई हो. उन्होंने कहा कि एक जैन समुदाय की भूमि, जिसमें छात्रावास और मंदिर स्थित है, पर भी एक मंत्री के करीबी बिल्डर द्वारा अतिक्रमण किया गया, और प्रशासन मौन दर्शक बना रहा.

आदित्य ठाकरे ने कहा कि लोकमान्य नगर पुनर्विकास परियोजना को मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा सीधे तौर पर स्थगित किए जाने का ज़िक्र करते हुए, उन्होंने सरकार की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए हैं. उन्होंने लिखा, ‘अगर मुख्यमंत्री स्थानीय नागरिकों की आवाज़ सुने बिना निर्णय ले रहे हैं, तो यह लोकतंत्र नहीं, एकपक्षीय व्यवस्था है. यह जनता की नहीं, बिल्डरों की सरकार बन चुकी है.’


ठाकरे ने अपने पत्र में पुणे में ऑप्टिक फाइबर अनुबंध पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि शहर की कई सड़कों को बिना किसी ठोस योजना के बार-बार खोदा जा रहा है, जिससे नागरिकों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है. ‘क्या पुणे नगर निगम इन ठेकेदारों से सड़क खोदने का शुल्क वसूल करेगा या फिर उन्हें सरकार का चहेता मानकर छूट दी जाएगी?’ ठाकरे ने यह सवाल मुख्यमंत्री से सीधे पूछा.

उन्होंने कहा कि पुणे जैसे स्मार्ट सिटी बनने की राह पर अग्रसर शहर को इस तरह के ठेकेदार-प्रेरित फैसलों से नुकसान हो रहा है. ‘यह साफ़ दिखाता है कि सत्ता में बैठे लोग विकास के नाम पर सिर्फ़ ठेकेदारों की तिजोरियाँ भर रहे हैं.’

 

 

ठाकरे ने मुख्यमंत्री से मांग की कि वे तत्काल इस फैसले पर पुनर्विचार करें, नागरिकों के हित में पारदर्शिता सुनिश्चित करें और पुणेकरों को बिल्डर लॉबी के चंगुल से बाहर निकालें.

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