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लोकमान्य नगर पुनर्विकास रोके जाने पर आदित्य का सवाल – क्या किसी करीबी बिल्डर को फायदा पहुंचाने की कोशिश?

Updated on: 30 October, 2025 09:33 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

शिवसेना (UBT) के विधायक आदित्य ठाकरे ने फडणवीस सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि महाराष्ट्र की मौजूदा सरकार जनता की नहीं बल्कि बिल्डर-ठेकेदारों की सरकार बन चुकी है.

X/Pics, Aaditya Thackeray

X/Pics, Aaditya Thackeray

महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर सियासी पारा चढ़ गया है. शिवसेना (UBT) के युवा नेता और विधायक आदित्य ठाकरे ने मंगलवार को एक तीखा हमला बोलते हुए फडणवीस-शिंदे सरकार को `बिल्डर-ठेकेदारों की सरकार` करार दिया. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर सरकार के फैसलों को जनता के खिलाफ बताते हुए कहा कि यह सरकार विकास के नाम पर सिर्फ बिल्डरों और ठेकेदारों के हित साधने में लगी है.

आदित्य ठाकरे ने अपने बयान में पुणे के लोकमान्य नगर पुनर्विकास प्रोजेक्ट का उदाहरण दिया, जिसे मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) ने अचानक रोक दिया. ठाकरे के मुताबिक, यह फैसला सिर्फ एक स्थानीय विधायक के पत्र के आधार पर लिया गया, जबकि स्थानीय नागरिक इस पुनर्विकास के पक्ष में थे. उन्होंने सवाल उठाया, ‘जब लोग विकास चाहते थे, तो मुख्यमंत्री कार्यालय ने इतने बड़े प्रोजेक्ट को बिना जनता से संवाद किए क्यों रोक दिया? क्या यह कदम किसी सत्ताधारी नेता के करीबी बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए उठाया गया है?’


क्लस्टर विकास की आड़ में ‘राजनैतिक हित’?



आदित्य का आरोप है कि लोकमान्य नगर का पुनर्विकास अब ‘क्लस्टर विकास’ की नई योजना के तहत किसी चहेते बिल्डर को सौंपने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि यह सिर्फ पुणे तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे महाराष्ट्र में सरकार का रुख यही दिखाता है कि "जहाँ जनता विकास चाहती है, वहाँ सरकार ठेकेदारों के इशारे पर रुकावट डाल देती है.”

उन्होंने आगे लिखा, ‘यह सरकार जनता की नहीं, बिल्डर-ठेकेदारों की है. जो भी फैसला लिया जा रहा है, वह आम नागरिकों के हित में नहीं बल्कि सत्ता के करीब बैठे ठेकेदारों और बिल्डरों के लाभ के लिए लिया जा रहा है.’


ठाकरे ने पुणे में शुरू होने वाली ऑप्टिक फाइबर बिछाने के काम का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने पूछा कि क्या नगर निगम इन ठेकेदारों से सड़क खोदने का मुआवज़ा वसूल करेगा या फिर उन्हें ‘सरकार का चहेता’ कहकर छूट दे दी जाएगी? उनके अनुसार, “एक तरफ़ पुणे की सड़कें हर कुछ महीनों में खुद जाती हैं, दूसरी तरफ़ नगर निगम और सरकार इस पर कोई जवाबदेही तय नहीं करती. यह जनता के पैसे की बर्बादी है, और ठेकेदारों की मौज.”

 

 

विपक्ष ने समर्थन किया, सत्ताधारी खेमे ने कहा ‘राजनीतिक स्टंट’

आदित्य ठाकरे के इस बयान के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में नई बहस छिड़ गई है. कांग्रेस और एनसीपी (शरद पवार गुट) के नेताओं ने ठाकरे का समर्थन करते हुए कहा कि यह ‘जनता की भावना की आवाज’ है. वहीं, सत्ताधारी शिवसेना (शिंदे गुट) और भाजपा ने आदित्य ठाकरे पर पलटवार करते हुए कहा कि वे ‘जनता को गुमराह कर रहे हैं’ और ‘विकास कार्यों को रोकने के लिए ड्रामा कर रहे हैं.’

महाराष्ट्र में लंबे समय से पुनर्विकास और क्लस्टर प्रोजेक्ट्स को लेकर विवाद चलता रहा है. कई नागरिक संगठनों ने भी आरोप लगाया है कि इन योजनाओं में पारदर्शिता की भारी कमी है और बिल्डरों को अनुचित लाभ मिल रहा है.

आदित्य ठाकरे का ताज़ा बयान इसी बहस को फिर से हवा देता दिख रहा है, जिसमें असली सवाल यही है कि क्या यह सरकार जनता की भलाई के लिए काम कर रही है, या बिल्डर-ठेकेदारों के ‘कॉर्पोरेट एजेंडा’ को आगे बढ़ा रही है?

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