Updated on: 25 July, 2025 10:42 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
महाराष्ट्र में भाषा को लेकर जारी बहस के बीच उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने मराठी भाषा की प्रधानता पर जोर देते हुए कहा कि "यहाँ पहले मराठी बोली जाती है, फिर हिंदी".
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महाराष्ट्र में भाषा विवाद एक बार फिर सुर्खियों में है. राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने हाल ही में एक बयान में मराठी भाषा की प्रधानता पर जोर देते हुए कहा, "यहाँ पहले मराठी बोली जाती है, फिर हिंदी. यह शाहू, फुले और अंबेडकर का महाराष्ट्र है." उनका यह बयान उस समय आया जब राज्य में हिंदी के "थोपे जाने" को लेकर बहस तेज हो गई है.
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पवार ने गुरुवार को मुंबई में संवाददाताओं से बात करते हुए कहा, "अगर कोई महाराष्ट्र में रहकर मराठी नहीं बोल सकता, तो उन्हें यह कहना चाहिए कि उन्हें मराठी नहीं आती, हम उनका सम्मान करते हैं. लेकिन मातृभाषा को छोड़कर पहले हिंदी और फिर अंग्रेज़ी की ओर झुकाव सही नहीं है."
इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का भी बयान आया है. उन्होंने कहा, "महाराष्ट्र में मराठी भाषा बोलने का आग्रह करना स्वाभाविक है और इसमें कुछ भी गलत नहीं है." साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी सरकार भाषा के नाम पर किसी भी तरह का दुर्व्यवहार बर्दाश्त नहीं करेगी. "जब भी भाषा के नाम पर हिंसा या टकराव हुआ है, हमने सख्त कार्रवाई की है," उन्होंने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा.
भाषा को लेकर यह विवाद तब शुरू हुआ जब 16 अप्रैल को राज्य सरकार ने एक सरकारी प्रस्ताव जारी किया, जिसमें कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में शामिल करने का निर्देश दिया गया. इस कदम की व्यापक आलोचना हुई और सरकार पर हिंदी थोपने के आरोप लगे.
राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने इस विवाद पर अपनी चिंता जताई. उन्होंने कहा कि भाषाई मतभेद के कारण नफ़रत फैलाना राज्य के दीर्घकालिक हित में नहीं है. एक निजी अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा, "तमिलनाडु में सांसद रहते हुए मैंने देखा कि कुछ लोगों ने एक हिंदी भाषी व्यक्ति को पीटा, क्योंकि वह तमिल नहीं बोल पा रहा था. अगर हम इस तरह की नफरत फैलाएंगे तो निवेशक राज्य से दूर भागेंगे."
राज्यपाल ने यह भी जोड़ा कि उन्हें हिंदी समझने में कठिनाई होती है, लेकिन वह इसे अपनी कमजोरी मानते हैं और लोगों को ज़्यादा भाषाएँ सीखने के लिए प्रेरित करते हैं. उन्होंने कहा कि हमें अपनी मातृभाषा पर गर्व होना चाहिए, लेकिन अन्य भाषाओं के लिए भी सम्मान होना चाहिए.
इस विवाद के चलते राज्य में कुछ क्षेत्रों में छिटपुट हिंसा की घटनाएँ सामने आई हैं, जिनमें हिंदी भाषी लोगों पर राजनीतिक कार्यकर्ताओं द्वारा हमले किए गए. फिलहाल, सरकार की कोशिश है कि मराठी की प्रतिष्ठा बनाए रखते हुए राज्य में भाषाई सौहार्द बना रहे.
(With inputs from ANI)
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