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कलकत्ता हाईकोर्ट का बड़ा आदेश, अब सीबीआई करेगी महिला डॉक्टर से रेप और हत्या केस की जांच

Updated on: 13 August, 2024 08:36 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

इसके साथ ही कोर्ट ने अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल को लंबी छुट्टी पर भेज दिया है.

छवि: पीटीआई

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कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर की जघन्य हत्या और रेप मामले की जांच अब सीबीआई करेगी. हाईकोर्ट ने यह आदेश मंगलवार को दिया. कोर्ट ने कहा कि इस घटना में अस्पताल प्रशासन ने गंभीर लापरवाही दिखाई है और इस मामले की जांच अब सीबीआई को सौंप दी गई है. इसके साथ ही कोर्ट ने अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल को लंबी छुट्टी पर भेज दिया है. इस जघन्य हत्याकांड का देशभर में विरोध हो रहा है. देशभर के सरकारी अस्पतालों में भी डॉक्टर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और कई जगहों पर ओपीडी ठप है.

कोर्ट ने कहा कि घटना की जानकारी होने के बावजूद अस्पताल प्रशासन ने इस मामले में लापरवाही बरती. कैसे डॉक्टर के शरीर पर गंभीर चोट और घाव के निशान हैं. कोर्ट ने कहा कि मृतक का परिवार ऐसी एजेंसी से जांच चाहता है जिसमें छेड़छाड़ की कोई संभावना न हो. उन्होंने केवी राजेंद्रन मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र किया और कहा कि, दुर्लभ मामलों में भी, अदालत मामलों को स्थानांतरित करने की अपनी शक्ति का प्रयोग कर सकती है। कोर्ट का यह फैसला इसलिए भी अहम है क्योंकि खुद सीएम ममता बनर्जी ने कहा था कि पुलिस रविवार तक पूरे मामले की जांच कर ले और मामला सामने आ जाए.


कलकत्ता हाई कोर्ट रविवार से पहले ही यह फैसला दे चुका है कि अगर यह संभव नहीं हुआ तो हम जांच सीबीआई को सौंप देंगे। कोर्ट ने पूर्व प्राचार्य डॉ. संदीप घोष को भी फटकार लगायी. पीठ ने कहा, यह हृदय विदारक है कि इतनी बड़ी घटना के बाद भी वह सक्रिय नहीं हैं. यहां तक ​​कि जब हंगामे के बाद उन्होंने पद से इस्तीफा दिया तो उन्हें दूसरे कॉलेज में जिम्मेदारी मिल गई. कोर्ट ने कहा, ``घोष को तुरंत छुट्टी दी जानी चाहिए और काम से दूर रखा जाना चाहिए. वह एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं और जांच को प्रभावित कर सकते हैं।”


अदालत ने घोष को दूसरे अस्पताल में नियुक्त करने के लिए राज्य सरकार को भी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि जिन परिस्थितियों में इस्तीफा दिया गया, उन्हें ध्यान में रखा जाना चाहिए था. एक जगह से इस्तीफा स्वीकार होने से पहले अधिकारी यह भी नहीं सोचते कि दूसरी जगह नियुक्ति कैसे की जाए। इतना ही नहीं, कोर्ट ने आगे कहा, ``अस्पताल प्रशासन ने घटना के बाद पीड़ित परिवार से मुलाकात नहीं की है. अब इस पर समय बर्बाद करने का कोई मतलब नहीं है. अन्यथा सबूतों के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है।” गौरतलब है कि कोलकाता हाई कोर्ट ने सख्त बयान देते हुए इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है.


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